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(देव शिल्प
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तीर्थकर की राशि तथा प्रतिमा स्थापनकर्ता की राशि का मिलान करके मूल नायक भगवान का निश्चय किया जाता है। पूर्वोक्त सारणियों का अवलोकन करके विद्वान प्रतिष्ठाचार्य तथा मर्मज्ञ आचार्य परमेष्ठी से इस विषय का निर्णय कराना चाहिये। नगर की राशि का भी इसी प्रकार मिलान करना चाहिये।
प्रतिमा किस द्रव्य की बनानी है इसका निर्णय प्रारंभ में ही कर लेना चाहिये। शिला परीक्षण के लिये शुभ मुहूर्त का चयन करके ही प्रस्थान करना चाहिये। उतावली में कभी भी प्रतिमा नहीं लेनी चाहिये । प्रतिमा की स्थापना भी मुहूर्त का चयन करने के बाद ही करना चाहिये।