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चराकोरमाबाई
(देव शिल्प
(२४४) दोनों घुटनों के बीच में एक तिरछा सूत्र रखें तथा नाभि से पैर के कंकण के ६ भाग तक एक सीधा समसूत्र तिरछे सूत्र तक रखें। इस समसूत्र का प्रमाण - पैरों से कंकण तक
१४ भाग पैरों से पिंडी तक
१६ भाग पैरों से जानु तक
१८ भाग होता है दोनों परस्पर घुटने तक एक तिरछा सूत्र रखा जाये तो यह नाभि से नीचे १८ भाग दूर रहता है। चरण के मध्य भाग की रेखा
१५ भाग (अर्थात् एड़ी से मध्य तुली ) एड़ी से अंगूठे तक
१६ भाग एड़ी से छोटी अंगुली तक
१४ भाग मध्य की अंगुली की लम्बाई
५ भाग तर्जनी तथा अनामिका
४-४ भाग छोटी अंगुली
३ भाग अंगूठा
३भाग अंगुलियों के नख
१भाग अंगूठे के साथ करतल पट की चौड़ाई
७ भाग
१६ भाग चरण की चौड़ाई
८भाग चरण की मोटाई
४भाग (एड़ी से पैर की गांठ तक) हथेली के मध्य भाग से मध्य की लम्बी अंगुली तक ९ भाग हथेली के मध्य भाग से अनामिका की लम्बी अंगुली तक ८ भाग हथेली के मध्य भाग से तर्जनी की लम्बी अंगुली तक ८ भाग हथेली के मध्य भाग से कनिष्ठ की लम्बी अंगुली तक ६ भाग मध्य की बड़ी अंगुली की लम्बाई
५ भाग तर्जनी एवं अनामिका अंगुली की लम्बाई
४-४ भाग अंगूठा की लम्बाई
३ भाग अंगुलियों के नख
१भाग अंगूठे से करतलपट की चौड़ाई
७ भाग गले की ऊंचाई
३ भाग गले तथा कान का अंतराल
१,१/२ चौड़ा भाग गले तथा कान का अंतराल
३ ऊंचा भाग लंगोट (अंचलिका) (श्वे. प्रतिमा में)
८ चौड़ा भाग लंगोट लम्बाई गादी के मुख तक. केशांत से शिखा की ऊंचाई
५ भाग गादी की ऊंचाई
८ भाग