SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (देव शिल्प (२२१) वेदी प्रकरण गर्भगृह में देवमूर्ति की स्थापना थेदी पर की जाती है। यह एक ढोरा चबूतरानुमा निर्माण होता है। इसे पबासन भी कहते हैं। इसका प्रमाण शास्त्रानुकूल तथा स्थापित की जाने वाली प्रतिमा एवं द्वार के मान के अनुकूल होना आवश्यक है। वेदी पर प्रतिमाओं की स्थापना एक अथवा तीन कटनियों में की जाना चाहिये। ___ गर्भगृह में परिक्रमा का स्थान छोड़कर जिन बेब (प्रतिमा) को स्थापित करने के लिये पोन वेदी का निर्माण किया जाना चालिये गर्भगन में १, १/२ हाथ ऊंची वेदिका बनाना चाहिये। वेदी का आकार चार प्रकार से किया जा सकता है :-* १. चतुष्कोण वेदी २. कमलाकृति वेदी ३. अर्धचन्द्राकृति वेदी ४. अष्टकोण वेदी चतुष्कोण वेदी (वर्गाकार अथवा समचतुरस वेदी) इसमें लम्बाई एवं चौड़ाई बराबर होना चाहिये । प्रतिष्ठित जिन प्रतिमा की स्थापना के लिये यह सर्वश्रेष्ठ है। कमलाकृति वेदी- इसे पद्मिनी वेदी भी कहा जाता है। इसमें वेदी को खिले हुए कमल की आकृति का बनाया जाता है तथा उस पर प्रतिमा स्थापित की जाती है। विशेष रुप से इस वेदी का प्रयोग तीर्थंकर प्रभु के ज्ञान कल्याणक के समय किया जाता है। अर्धचन्द्राकृति वेदी - इसे श्रीधरी वेदी भी कहा जाता है। इस वेदी को अर्धचन्द्र का आकार दिया जाता है जिसका समतल भाग ऊपर रहता है। इस येदी का प्रयोग तीर्थंकर के जन्म कल्याणक के समय किया जाता है। अष्टकोण वेदी- इसे सर्वतोभद्र वेदी भी कहा जाता है। इसमें आठ कोण, आठ भुजाएं होती हैं। आठों भुजाओं का मान समतुल्य होता है। इस वेदी का प्रयोग विशेष रूप से तीर्थंकर के दीक्षा कल्याणक के समय किया जाता है। वेदी का निर्माण करते समय अत्यधिक सतर्कता रखना अत्यंत आवश्यक है। किंचित भूल भी अत्यन्त विपरीत परिस्थिति का निर्माण कर सकती है। ---------------------- *वेदी चतुर्विघा तत्र चतुरस्त्रा व पधिनी. श्रीधरी सर्वतोभद्रा दीक्षासु स्थापनादिषु । चतुरवा चतुःकोणा वैदी सौख्य फलप्रदा केचिदैत्य प्रतिष्ठायां पग्रिजी पद्मसंजिभा ।! आ. जयसेन प्रतिष्टा पाट श्लोक २२८/२२९
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy