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________________ (देव शिल्प) (२०१० शिखर की ऊंयाई की गणना के लिये सून्न का माप मूल कर्ण (पायचा) से शिखर की ऊंचाई सवाई करना हो तो पायवे के विस्तार से चार गुना सूत्र लेवें । यदि शिखर डेढ़ गुना करना हो तो पांच गुना सूत्र लें। यदि शिखर पौने दो गुना करना हो तो पौने सात गुना सूत्र ले। यदि शिखर १, १/३ गुना कर 1 ही तो साढ़े चार गुना सूत्र लें। इरा राव से मूल कर्ण के दोनों बिदुओं से दो गोल बनायें। इससे कमल की पंखुड़ी जैसा आकार बन जाता है । इसमें अपने इच्छित मान की ऊंचाई में शिखर का स्कंध तथा शेष रही ऊंचाई में आमलसार, कलश आदि बनाना चाहिए। कला रेखा __मण्डोवर के ऊपर शिखर की रचना की जाती है। शिखर की रचना नीचे के भाग में चौड़ी होती है तथा ऊपरी भाग में अपेक्षाकृत कम होती जाती है। इस शिखर की रचना को निर्धारित करने के लिये प्रथमतः शिखर की चौड़ाई को २५६ रेखाओं में विभाजित करना होता है। ये रेखाएं उत्तरोत्तर झुकती हुई सी बनाई जाती है। ये रेखायें कला रेखा के नाम से जानी जाती है। अब एक तरफ के कोने के दो भाग करें। उसमें प्रथम भाग के चार भाग करें। दूसरे भाग के तीन भाग करें। अब दूसरी तरफ के कोने के भी इसी तरह भाग करें। इसके बाद दोनों प्रतिकर्णों की दो रेखाएं मिला दें। इस प्रकार कुल सोलह रेखाएं हो जायेंगी! इन सोलह रेखाओं की ऊंचाई में सोलह- सोलह भाग करें। इस प्रकार कुल २५६ (दो सौ छप्पन) रेखाएं हो जायेंगी। ये कला रेखाएं हैं। शिखर की ऊंचाई की भेदोभव रेखा मूल रेखा की चौड़ाई से शिखर की ऊंचाई सवाई करें। इस सधाये शिखर में दोनों कोगों के मध्य २५ (पच्चीस) रेखाएं होती हैं। ऊंचाई में ये रेखाएं झुकली हुई सी होती हैं। प्रा. मं. ४ / १३.१४ कला भेदोद्भव रेखा शिखर की ऊंचाई के पांच से उनतीस खण्ड करें। उन खण्डों में अनुक्रम से ऊंचाई में एक एक कला रेखा बढ़ाएं। प्रथम पांच खण्डों में एक से.पांच कला होंगी। पश्चात छठवें रो आगे प्रत्येक में उतनी ही कला रेखा होंगी अर्थात् ६वे में ६, ७३ में ७,८ वें में ८ इत्यादि २९ वें में २९। इतनी कला संख्या स्कन्ध में भी बनाई जाना चाहिये। प्रथा समचार की त्रिकखंडों में आठ आठ कला रेखा है। पीछे आगे के प्रत्येक खण्ड में चार चार कला रेखा बढ़ाने से अठारहवे खण्ड में अड़सठ कला रेखा होती है। ऊंचाई में जितनी कला रेखा हों उतनी ही स्कन्ध में भी ब-ए, एक भी कम करें को शोभा न होगी।
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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