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________________ देव शिल्प १०० सरस्वती मन्दिर नयदेवताओं में जिनवाणी का नाम सम्मिलित है। जिनवाणी से तात्पर्य है वह वाणी जो केवलज्ञान प्राप्त होने के उपरांत अरिहंत (तीर्थंकर) प्रभु के द्वारा निःसृत होती है। जिस प्रकार हम पंच परमेष्टी की मन्दिर में प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं उसी भांति जिनवाणी की पूजा शास्त्रों की पूजा के रुप में की जाती है। जिन शास्त्रों में जिनवाणी लिखी हुई है वे भी जिनेन्द्र प्रभु की ही भांति पूज्य हैं। जैन धर्मानुयायियों का एक सम्प्रदाय तो सिर्फ शास्त्रों की ही आराधना होती हैं। जिनवाणी का एक अन्य नाम द्वादशांग वाणी भी है। इसे कुछ अन्य नामों से भी वर्णित किया जाता है भारती, बहुभाषिणो सरस्वती, शारदा, हंसगागिनी, विदुषा, वागीश्वरी, जगन्मातः, श्रुतदेवी, बह्माणी, वरदा, वाणी इत्यादिः किन्तु जिनवाणी को सबसे अधिक सरस्वती नाम से जाना जाता है। सरस्वती ज्ञान की - देवी है अतएव जिनवाणी का रूप सरस्वती देवी के रूप में ही स्मरण किया जाता है। सरस्वती देवी की प्रतिमा की रचला जैन शास्त्रों में सरस्वती देवी की प्रतिमा बनने के लिये एक विशेष रूप बताया गया है। रसरस्वती देवी की प्रतिभा अत्यंत सुन्दर एवं सौम्य स्मित रुप में चार भुजा युक्त बनाई जाती है। गुजाओं में एक भुजा में दीणा दूसरी में पुस्तक तीसरी में कमल पुष्प तथा चौथी में आशीर्वाद मुद्रा रखी जाती है। वाहन हंस का रखा जाता है। शुभ्र, वस्त्र, किणी, मणिमाला, रत्नहार, भुजबन्ध आदि से प्रतिमा को शोभान्वित किया जाता है। सरस्वती देवी की स्थापना भूलनायक प्रतिगा के दाहिने ओर सरस्वती देवो का मन्दिर गर्भगृह में ही बनाया जाता है। पृथक से भी सरस्वती देवी का मन्दिर बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त चौबीस तीर्थंकरों की प्रतिमायें जहां स्थापित की जाती हैं, वहां भी सरस्वती प्रतिमा स्थापित की जाती है। ऐसे प्रसंग में जिरा पंक्ति में मूलनायक प्रतिमा स्थापित की जाती है उत्ती पंक्ति में सरस्वती देवी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। प्रतिष्ठा सारोद्धार में पं. आशाधरजी ने निर्देशित किय है कि सरस्वती की आराधना करने से सम्यग्दर्शन की प्राप्ति होती है। इसी सन्यदर्शन से सम्यज्ञान की प्राप्ति होती है। जो कि वास्तविक मोक्षमार्ग का परिचय कराता है. विद्याप्रिया षोडशदृशविशुद्धि पुरोगमार्हन्त्य कृदथं रामः । (प्र.सा.) सरस्वती देवी
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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