________________
आप जगत के कल्याण के लिए सहज निमित्त कारण हो, यह मुझे निश्चय हो गया है । दौलतराम शीश नमाकर (नमाते हुए) कहते हैं कि ऐसा कीजिए जिससे मैं कर्म-श्रृंखला से सर्वथा अलग हो सकूँ, छूट सकूँ।
सुगुन ग्राम = गुणों के स्थान; सुगुन दाम - गुणों को माला; घाम = तीव्रधूप; खाम = कमो।
दौलत भजन सौरभ