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भजन संख्या ८६, मेरो मन ऐसी खेलत होरी ८७. आज गिरिराज निहारा, धनभाग हमारा ८८. जिया तुम चालो अपने देश, शिवपुर थारो शुभ थान ८९. मत कीज्यौ जी यारी, घिनगेह देह जड़ जान के । ६. पर कीलों जी यानी, ये लोग भुजंग राम जानके ९१. मत राचो धीधारी, भव रंभर्थभसम जानके ९२. हे मन तेरी को कुदेव यह, करनविषय में धावै है ९३. हो तुम शठ अविचारी जियरा ९४. मान ले या सिख मोरी, झुकै मत भोगन ओरी ९५, मानत क्यों नहिं रे, हे नर सीख सयानी ९६. जानत क्यौं नहिं रे, हे नर आतमज्ञानी ९७. छोडि दे या बुधि भोरी, वृथा तनसे रति जोरी ९८, छांडत क्यौं नहिं रे, हे नर ! रीति अयानी ९९. लखो जी या जिय भोरे की बात १००. सुनो जिया ये सतगुरु की बातें १०१. मोही जीव भरमतमतें नहिं १०२. ज्ञानी जीव निवार भरमतम, वस्तुस्वरूप विचारत ऐसे १०३. अपनी सुधि भूल आप, आप दुख उपायौ १०४. जीव तू अनादिहीतैं भूल्यौ शिवगैलवा १०५. आण नहिं जाना तूने, कैसा ज्ञानधारी रे १०६. शिवपुर की डगर समरससौं भरी १०७. तोहि समझायो सौ सौ बार १०८. न मानत यह जिय निपट अनारी
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