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वारी हो बधाई घा शुभ साजै । विश्वसेन ऐरादेवी - गृह,
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जिनभवमंगल
सज
सब अमरेश, अशेष विभवजुत, नगर नागपुर नाग-दत्त सुर-इन्द्रवचनतें, ऐरावत लखजोजन शतवदन वदनवसु रद प्रतिसर ठहराये। सर सर सौ-पन वीस नलिनप्रति पदम पचीस विराजै ॥ १ ॥ वारी. ॥
छाजै ॥ वारी. ॥
आये।
धाये ।
मनहारी ।
सुरनारी ।
पदमपदमप्रति अष्टोत्तरशत, ठने सुदल ते सब कोटि सताइस मुद, जुत नाचत नवरसगान ठान काननको उपजावत सुख वंक लै लावत लंक लचावत, दुति लखि दामनि लाजै ॥ २ ॥ वारी. ॥
भारी ।
गोप गोपत्तिय जाय मायडिंग करी तास श्रुति सारी । सुखनिद्रा जननी को कर नमि अंक लियो जगतारी। लै वसु मंगलद्रव्य दिशसुरी चली अग्र शुभकारी । हरखि हरी, चख सहस करी तब, जिन वर निरखनकाजै ॥ ३ ॥ वारी. ॥
इन्द्रने, श्रीजिनेन्द्र
पधराये ।
ता गजेन्द्रपै प्रथम द्वितीय छत्र दिय तृतिय, तुरिय- हरि, मुद धरि चमर दुराये । शेषशक्र जयशब्द करत नभ, लंघ सुराचल छाये । पांडुशिला जिन थाप नची सचि दुन्दभिकोटिक बाजै ॥ ४ ॥ वारी. ॥
जन्मन्हवन शुभ ठानो । क्षीरोदधिजल
आनो ।
परमानो ।
वसु योजन ढारत जयधुनि
गाजै ॥ ५ ॥ वारी ॥
दौलत भजन सौरभ
पुनि सुरेशने श्रीजिनेशको, हेमकुम्भ सुरहाथहि हाथन, वदनउदरअवगाह एक चौ, सहसआठकर करि हरि जिनसिर
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