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नाम
स्थापना
स्थापना
क्षेत्र का ग्रहण
आहार
1
यथाशक्य मात्रा कम करना
इस अध्ययन में प्ररूपित सामग्री को सारिणी द्वारा निम्न रूप में व्यक्त कर सकते हैं
स्थापना (पर्युषणा) का निक्षेप
T
विकृति
-प्रशस्त
I
ग्रहण
द्रव्य
संस्तारक
नवीन संस्तारक
अप्रशस्त
|
कारण होने सामान्य गुरु
पर ग्रहण
श्रमण
एक
तीन
1
पात्र
उच्चार प्रस्रवण श्लेष्म
स्थविरकल्पी
चातुर्मास में एक बार
लोच
ग्रहण
सचित्त
पूर्व दीक्षित
एवं
श्रद्धावान
अचित्त
त्याग
कोई | विवरण नहीं अन्य
जिनकल्पी
प्रतिदिन
T क्षेत्र काल
7
भाव
दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति : एक अध्ययन