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दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन
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वरग (वरक) सम्बन्ध माँगने वाले वरिसेण (वर्षेण) वर्ष में वाओदयेण (वातोदकैः) हवा और जल से वागरणं (व्याकरण) कथन, प्रतिपादन वाघाएण (व्याघातेन) बाधक होने से वायणिसग्गो (वातनिसों) उच्च स्वर करना वासाकप्पो (वर्षाकल्पः) वर्षावास के योग्य वासाखेत्ता (वर्षाक्षेत्र) चातुर्मास क्षेत्र वासाणि (वर्षाणि) वर्ष तक वासावासं (वर्षावासं) चातुर्मास में एक स्थान में किया जाता निवास विआणओ (विज्ञायको) ज्ञानी विआल (विकाल) दुर्भिक्ष आदि या सन्ध्या विगइगयं (विकृतिगतं) विकृति को प्राप्त विगयसभावं (विकृत स्वभाव) विकार स्वभाव वाली विणिवायं (विनिपातं) अध:पतन या विनाश विरओ (विरतो) निवृत्त विवड्डीय (विवर्द्धिक) बढ़ाने वाला वीससपयोग (विस्रसप्रयोग) विस्रसाबन्ध और प्रयोगबन्ध वोसिरणं (व्युत्सर्जन) परित्याग संगहपरिण्णा (सङ्ग्रह परिज्ञा) प्रतिमा-विशेष संगे (सङ्गे) कर्मबन्ध या आसक्ति संघयणे (संहनने) संहनन के विषय में संपराये (सम्पराय) कषाय संवच्छरिए (सांवत्सरिके) वार्षिक संविग्ग (संविग्न) संवेगयुक्त, मुक्ति का अभिलाषी संवेगकरणाणि (संवेगकरणानि) मोक्ष के साधन संसत्त (संसक्त) जन्तु विशेष युक्त सक्कतोसरणं (शक्रावसरणं) समवसरण सज्झाएसणसोही (स्वाध्यायैषण शोधिः) स्वाध्याय और एषणा शुद्ध करने वाली सबल (शबल) कर्बुर, चितकबरा, दूषित चरित्र
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