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भूमिका
अर्थात् आराधना, नियुक्ति, मरणविभक्ति, सङ्ग्रहणीसूत्र, स्तुति (वीरस्तुति), प्रत्याख्यान (महाप्रत्याख्यान, आतुरप्रत्याख्यान), आवश्यकसूत्र, धर्मकथा तथा ऐसे अन्य ग्रन्थों का अध्ययन अस्वाध्याय काल में किया जा सकता है। वस्तुत: मूलाचार की इस गाथा के अनुसार आराधना एवं नियुक्ति ये अलग-अलग स्वतन्त्र ग्रन्थ हैं। यहाँ आराधना से तात्पर्य आराधना नामक प्रकीर्णक अथवा भगवती-आराधना से तथा नियुक्ति से तात्पर्य आवश्यक आदि सभी नियुक्तियों से है। अत: आराधनानियुक्ति की कल्पना अयथार्थ है। इन दस नियुक्तियों के अतिरिक्त आर्य गोविन्द की गोविन्दनियुक्ति का भी उल्लेख मिलता है, किन्तु यह नियुक्ति भी वर्तमान में अनुपलब्ध है। इसका उल्लेख नन्दीसूत्र, व्यवहारभाष्य, आवश्यकचूर्णि° एवं निशीथचूर्णि११ में मिलता है। इस नियुक्ति की विषय-वस्तु का उद्देश्य मुख्य रूप से एकेन्द्रिय अर्थात् पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति आदि में जीवन सिद्ध करना था। गोविन्द नामक कर्ता आचार्य के आधार पर ही इसका नामकरण हुआ है। कथानकों के अनुसार ये बौद्ध परम्परा से जैन परम्परा में दीक्षित हुए थे। मेरी दृष्टि में यह नियुक्ति आचाराङ्ग के प्रथम अध्ययन और दशवैकालिक के चतुर्थ षड्जीवनिकाय अध्ययन से सम्बन्धित रही होगी। इसका उद्देश्य बौद्धों की मान्यता के विरुद्ध पृथ्वी, पानी आदि में जीवन की सिद्धि करना रहा होगा। इसी कारण इसकी गणना दर्शन प्रभावक ग्रन्थ में की गयी है। संज्ञी श्रुत के सन्दर्भ में इसका उल्लेख भी यही बताता है। १२
इसीप्रकार संसक्तनियुक्ति१३ नामक एक और नियुक्ति का उल्लेख मिलता है। इसमें ८४ आगमों के सम्बन्ध में उल्लेख है। इसमें मात्र ९४ गाथाएँ हैं। ८४ आगमों का उल्लेख होने से विद्वानों ने इसे पर्याप्त परवर्ती एवं विसङ्गत रचना माना है। अत: इसे प्राचीन नियुक्ति साहित्य में परिगणित नहीं किया जा सकता है। इसप्रकार वर्तमान नियुक्तियाँ दस नियुक्तियों में समाहित हो जाती हैं। इनके अतिरिक्त अन्य किसी नियुक्ति नामक ग्रन्थ की जानकारी हमें नहीं है। दस नियुक्तियों का रचनाक्रम
दसों नियुक्तियों के कर्ता ने इनकी रचना एक क्रम में की होगी। निम्न प्रमाणों के आधार पर यह निश्चित होता है कि आवश्यकनियुक्ति में उल्लिखित क्रम से ही इनकी रचना हुई थी
१. आवश्यकनियुक्ति की सर्वप्रथम रचना स्वत: सिद्ध है क्योंकि इसमें ही दस नियुक्तियों की रचना की प्रतिज्ञा की गयी है और आवश्यक का नामोल्लेख सर्वप्रथम हुआ है।५ पुन: आवश्यकनियुक्ति की निह्नववाद से सम्बन्धित सभी गाथाएँ (गाथा