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बम खंड वृक्ष गुफा समुद्र पहाड़ों के बराड़े आदि विविष स्थानों में रहते हैं, उन्हें व्यस्तर देव कहते हैं 8 ये ही वेष मनुष्य स्त्री आदिके शारीर में प्रवेश कर नाना प्रकार के कोतूहल किया करते हैं, जिनके
ज्योतिर्मय विमानों में कारण एस पूरक पर गगा: लाता और पहुंचाता है जिनसे दिन रात आदि हु काल का विभाग होता है उन्हें ज्योतिषदेव कहते हैं । ये ही तीनों प्रकार के देव भुवन त्रिक कहलाते ए हैं। इनमें मिथ्यावृष्टि मनुष्य व तिर्यश्च ही उत्पाद शिला पर जन्म लेते हैं, यद्यपि श्रुत में भवनवासी 3 आदि देवों में उत्पत्ति के कारण भिन्न-भिन्न बतलाये गये हैं परन्तु सामान्य रूप से अकाम निर्जरा रु तीनों प्रकार के देवों में उत्पत्ति का कारण है, यहां उसो एक पक्ष का उल्लेख किया है । और अपनी ३ इच्छा के बिना केवल पराधीनता से मोग-उपभोग का निरोष होने से तथा तीन कषाय रहित होकर 8 ३ भूख प्यास मारण ताड़न छेदन भेवन त्रास या प्राणघात हो जाने से जो कर्मों को निर्जरा होती है उसे 3 अकाम निर्जरा कहते हैं । भवन श्रिक में उत्पन्न होने का कारण जो ज्ञान और चरित्र को धारण करते
हुए भी मिथ्यात्व न छूटने के कारण धर्म पालने में शंकाभाव वर्तते है तब संक्लेश भाव से युक्त हो
कर व्रत उपवास आदि करते हैं तथा स्त्रो के वियोग से संतप्त होते हुए भी जो ब्रह्मचर्य का पालन 8 ३ करते हैं, ऐसे जीव भवनवासी देषों में उत्पन्न होते हैं । जो मनुष्य हास्यादि के वशीभूत होकर असत्य ३ संभाषण में अनुरक्त रहते हैं, सवा दूसरों की नकल किया करते हैं, परिहास्य करते डरते नहीं हैं, 8 ३ ऐसे जीव कंवर्ष जाति के भवन वासी देवों में उत्पन्न होते हैं । जो मनुष्य मंत्र-जन्त्र-तंत्र योग & पृष्ठ है करते है. नाना प्रकार के कौतूहल नाटक चेटक में लगे रहते हैं, दुनिया की खुशामद में लगे रहते हैं 8 । यह वाहन जाति के भवन वासी देवों में उत्पन्न होते हैं । जो मानव तीर्यकर या चार प्रकार के संघ को ई महिमा, पूजा, आगम प्रन्य, यात्रा, पंच कल्याणक महोत्सव, मन्दिर देवी प्रतिष्ठावि, आगम प्रतिकूल 8