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(8 जायगा। तहां प्रथम नरक में ३० लाख बिल हैं, दूसरे नरक में २५ लाख मिल हैं, तीसरे में १५ 8 8 लाख बिल हैं, चौथे में १० लाख, पांचवें में ३ लाख बिल हैं; छठे में पांच कम एक लाख बिल हैं 8
और सातवें में पांच ही बिल हैं, कुल सात नरक में ८४ लाख बिल हैं । इनमें ऊपर के ८२ लाख बिलों में उष्ण वेदना है, और नीचे के २ लाख बिलों में शोत वेदना है, तहां गर्मी को अपेक्षा सर्दी की वेदना अधिक होती है। इसलिए पांचवें नरक के आधे भाग में मोचे शीत वेदना बतलाई गई है भूख प्यास वेदना ऊपर लिख. आये हैं । तथापि वह नारकी भूख की असह्य वेदना से पीड़ित होकर & वहाँ की अत्यन्त तीखी कड़वी और दुर्गध सहित थोड़ी सी मिट्टी को बे चिरकाल में खाते हैं, उस मिट्टी में इतनी दुगंध आती है और वह इतनी जहरीली होती. है यदि पहले नरक की मिट्टी यहां लाकर शान यो भार तो आजोश हे भोकर रहने वाले समस्त जीव मर जाय । इसका यह जहरीलापन और घातक शक्ति आगे के नरकों में पाथड़ा प्रति आध-आध कोश बढ़ती गई है । सप्तम
नरक के पाथड़े में साढ़े चौबोस कोश के जीव गंध से मृत्यु को प्राप्त हो जायं, प्रथम नरक में १३ 0 दूसरे में ११, तीसरे में ६, चौथे में ७, पांचवें में ५, छठे में ३, सातवें में एक पाथड़ा हैं । इनको
पटल भी कहते हैं । इस प्रकार नरकों के भीतर नारको जीव असंख्य काल तक भारी वेदना को सहने ४ के राइ अत्यन्त सौभाग्य से मनुष्य गति को प्राप्त कर पाता है । प्रथम नरक में जघन्य आयु १० हजार वर्ष और उत्कृष्ट एक सागर को है, दूसरे में तीन सागर की है, तीसरे में सात सागर, चौथे में
दस सागर, पांचवें में सतरह सागर, छठे में बाईस सागर, सातटों में ३३ सागर की है । दूसरे आदि 8 नरकों में जघन्य आयु के पूर्व के नरकों को उत्कृष्ट आयु से एक समय अधिक जानना चाहिए । इन & नारको जीवों का असमय में मरण नहीं होता है। शरीर के तिल बराबर टुकड़े कर दिए जाने पर