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छहढ़ाला प्रश्न ६–रत्नत्रय किसे कहते हैं ?
उत्तर---सम्यक्दर्शन, सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र को रत्नत्रय कहते हैं ।
प्रश्न ७–मुनि किसे कहते हैं ? उत्तर—जो ५ महाव्रत ५ समिति का पालन करते हैं ।
५ इन्द्रियों को जीतते हैं । ६ आवश्यकों का नित्य पालन करते हैं एवं ७ शेष गुणों के धारक हैं, इस प्रकार २८ मूलगुणों के धारी आत्मा को मुनि
कहते हैं। प्रश्न ८–मुनि के पर्यायवाची नाम बताइए ? उत्तर- (१) मुनि-आत्मा का मनन करे वह मुनि । मौन रहे सो
मुनि । मति आदि पाँच ज्ञानधारी मुनि ! रत्नत्रय की
सिद्धि कर सा मुनि । (२) श्रमण-आत्मा में श्रम करने से श्रमण । (३) संयत--इन्द्रियों के संयम से संयत । (४) ऋषि-कर्मों को भंग करने से ऋषि । (५) महर्षि-महान ऋद्धियों को प्राप्त करने से महर्षि । (६) यति--मुक्ति में यत्न करने से यति । (७) अनगार-अनियत स्थान में रहने से अनगार | (८) वीतराग-राग रहित होने से वीतराग | (९) पूज्य–तीन लोक के जीवों से वन्दनीय होने से
पूज्यादि मुनियों के गुणों की अपेक्षा अनेक नाम हैं । प्रश्न ९---मुनिराज निरन्तर क्या चिन्तन करते हैं ?
उत्तर—मुनिराज निरन्तर संसार, शरीर और भोगों की असारता का चिन्तन करते हैं।
प्रश्न १०–संयम किसे कहते हैं एवं इसके भेद बताइए ?
उत्तर–पाँच इन्द्रिय और मन को सम्यक् प्रकार से वश में करना संयम है । इसके दो भेद हैं—(१) प्राणी संयम और (२) इन्द्रिय संयम |
प्रश्न ११-स्वरूपाचरण चारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर-आत्म स्वरूप में लीन होना स्वरूपाचरणाचरित्र है ।