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छहलाला शब्दार्थ----सम्यक् प्रकार = भनी प्रकार । विरोध = गोकता ! ध्यानते = ध्यान करते हैं । तिन = उनकी । सुथिर = स्थिर ( शांत ) । मुद्रा = आकृति । देखि - देखकर । मृग गण = हिरनों का समूह । उपल = पत्थर | खाज = खुजली । खुजावते = खुजाते हैं । रस = पाँच रस । रूप = पाँच वर्ण । गन्ध - दो गन्ध । फरस = आठ स्पर्श । सुह = प्रिय । असुहावने = अप्रिय । तिनमें = उनमें । विरोध = द्वेष । राग = प्रोति । जयन = जीतना । पद = स्थान । पावने = पाते हैं ।
अर्थ-वीतराग मुनि भली प्रकार मन, वचन, काय को रोककर अपनी आत्मा का ध्यान करते हैं । उस समय मुनियों की शांत मुद्रा को देखकर हिरणों का समूह उन्हें पत्थर समझकर अपनी खुजली को खुजाता है।
___ रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द चाहे इष्ट हो या अनिष्ट उनमें रागद्वेष नहीं करना, इन्द्रिय जय कहलाता है । इन्द्रिय जय करनेवाले जितेन्द्रिय पद को पाते हैं ।
प्रश्न १-गुप्ति किसे कहते हैं । उत्तर—मन, वचन, काय की प्रवृत्ति को भली प्रकार रोकना गुप्ति है। प्रश्न २–मनोगुप्ति किसे कहते हैं ? उत्तर—मन को वश में करना मनोगुप्ति है। प्रश्न ३-वचन गुप्ति किसे कहते हैं ? उत्तर-वचन को वश में करना वचन गुप्ति है । प्रश्न ४-काय गुप्ति किसे कहते हैं ? उत्तर—शरीर को वश में करना काय गुप्ति है। प्रश्न ५-इन्द्रिय जय किसे कहते हैं ? उत्तर—पाँच इन्द्रिय और मन के ऊपर विजय पाना इन्द्रिय जय है । प्रश्न ६-जितेन्द्रिय कौन होता है ?
उत्तर- इन्द्रियजय करनेवाले जितेन्द्रिय होते हैं या जिन-पद ( अर्हन्त पद) को पाते हैं।
प्रश्न ७–पाँच रसों के नाम बताइए ?
उत्तर—(१) खट्टा, (२) मीठा, (३) कड़वा, (४) कषायला और (५) चरपरा ।
प्रश्न ८–पाँच वर्गों के नाम बताइए ?
उत्तर-(१) काला, (२) पीला, (३) नीला, (४) लाल, (५) सफेद ।