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________________ विषय ३५१ १०४ NE M ३५६ ३५७ १७६ १७६ १७६ १७७ १७७ ३५८ ३५९ १५२ ३६० १७७ १७९ ३६१ mmmmm १८० १८० १८० ३६६ १८१ १५८ १५९ सूत्राक पृष्ठांक मूर्या और अविरति का निषेध अनाचार परिहारपवेश-२ ३१७ १४२ भिक्षु के विविध अनाचरणीय स्थान ३१८ १४३ ३१९ १४४ छः उन्माद स्मान सामुदानिक मवेषणा नहीं करने वाला ३२० पापत्रमण ३२१ स्वच्छन्द विहारी पाए श्रमण ३२२ श्रुतज्ञान की उपेक्षा ३२३ भसविभागी पापश्रमण ३२४ आरम्भ-जीवी को पापासक्ति १५१ बार-बार आहार करने वाला पापत्रमण ३२७ प्रमाव निषेध-३ प्रमाद निषेध ३२८ अप्रमत्त होकर आचरण करने का उपदेश ३२९ १५४ प्रमाव के प्रकारछ: कल्प के विघ्न करने वाले स्थान छः प्रकार के प्रमाद ३३० दस धर्म के घातक दस धर्मविशोधि १५७ अठारह प्रकार के पापस्थान अदिशिकादि समाचार-५ औदेशिकादि अनाचार सबल दोष-६ इकबीस शबल दोष असमाधि स्वान-७ बीस असमाधि स्थान ३३६ महनीय स्थान-८ तीस महामोहनीय स्थान ረ किया स्थान-९ ३३९ तेरह क्रियास्थान २४० मिमित्त कपन-१० आठ प्रकार के महानिमित्त निमित्त कथन निषेध निमित्त का प्रयोक्ता पापश्चमण १७० कषाय निषेध-११ ३४५ कषाय निषेध १७२ कषायों को अग्नि की उपमा १७२ आठ प्रकार के मद ३४८ १७३ मद निषेध ३४९ १७३ रूपमद निषेध लज्जा निषेध कषाय और गर्व का निषेध ३५० १७४ साम्परायिक काँका त्रिकरण निषेध ३६७ विराधक अकाम कष्ट भोगने वाले विराधक भद्र प्रकृति मनुष्य विराधक स्त्रियों विराधक बाल तपस्वी विराधक वानप्रस्थ विराधक कादर्पिक श्रमण विराधक परिद्राजक निराधक प्रत्यनीक श्रमण विराधक आजीविक विराधक आत्मोत्कर्षक श्रमण विराधक निन्हव कादर्पिक आदि विराधक श्रमण विराधकों के संयम का विनाश निवान-अनिवान से आराधना-विराधना-४ (१) निर्ग्रन्थ का मनुष्य सम्बन्धी भौगों के लिए निदान करना (२) निर्ग्रन्थी का मनुष्य सम्बन्धी भोगों के लिए निदान करना (३) निन्य का स्त्रीत्व के लिए निदान करना (४) निर्ग्रन्थी का पुरुषत्व के लिए निदान करना (५) निन्य निर्गन्थी द्वारा पर-देवी परिचारणा का निदान करना (६) निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी द्वारा स्व-देवी परिचारणा का निदान करना (७) निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्धी के द्वारा सहज दिव्य भोग का निदान करना (८)श्रमणोपासक होने के लिए निदान करना (९) श्रमण होने के लिए निदान करना निदान रहित की मुक्ति सप की फलाकाक्षा का निषेध बास-परित मरण से आराधना-विराधना-५ अनेक प्रकार के मरण बालमरण के प्रकार मरण के प्रकार मज्ञानियों के बालमरण बालमरण का स्वरूप पण्डितमरण का स्वरूप बासमरण और पंपिडतमरण का फल बीतराग सम्मत बेहानस बालमरण बालमरण की प्रशंसा के प्रायश्चित्त सूत्र अनाचार अमाचार निषेधअनाचार का निषेध १८१ ३६८१८१ ३६९१८५ १६४ २७० १८५ ३७१ १८९ १६८ १९० १९० ३७३ १९० ३७५ ३७६ ३७७ ३७८ ३७९ १९२ ३८० २८१ २८२ १९२ १९२ १९२
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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