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परणानुयोग-२
अन्य गण से आये हुओं को गग में सम्मिलित करने के विधि-निषेध पूत्र ५०१-५०२
तेय से वियरेज्जा, एवं से कप्पद अग्नं आयरिय-अवज्झायं वे यदि आज्ञा दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना उदिसावेत्तए ।
देने के लिए
है। ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पड अन्न आयरिय- वे यदि आज्ञा न दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को उबजमायं उहिसावेतए ।
वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है। नो से कप्पद तेसि कारणं अवीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवसायं उन्हें कारण बताए बिना अन्य आचार्य या उपाध्याय को उदिसावेत्तए।
वाचना देने के लिए जाना नहीं करूपता । कप्पड़ से तेसि कारणं वीवेत्ता अन्नं आयरियं वा उवमायं किन्तु उन्हें कारण बताकर ही अन्य आचार्य या उपाध्याय वा उद्दिसावेत्तए।
को वाचना देने के लिये जाना कल्पता है। आयरिय-उवमाए य इच्छेज्जा अन्नं बायरिय-उबझाब- आचार्य या उपाध्याय अन्य आचार्य या उपाध्याय को उहिसावेत्तए,
वाचना देने के लिये या उनका नेतृत्व करने के लिये जाना
चाहे तोनो से कप्पइ आयरिय-उवमायसं अमिक्खिवित्ता अन्न उन्हें अपना पद छोरे बिना अन्य आचार्य या उपाध्याय को आपरिय-उबमायं उहिसावेत्तए।।
वाचना देने के लिये जाना नहीं करूपता है। कम्प से आयरिय-उवजमायत्तं निविखवित्ता अन्न आयरिया किन्तु अपना पद छोड़कर अन्य आचार्य या उपाध्याय को उबज्माय उदिसावेत्तए।
वाचना देने के लिये जाना कल्पता है। नो से कप्पड अणापुच्छित्ता मायरियं या-जाव-गणावच्छेदयं उन्हें अपने आचार्य-यावत्-गणावच्छेदक को पूछे बिना वा अन्न आयरियं-उबजमायं उद्दिसावेत्तए ।
अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं
कल्पता है। कप्पई से आपुस्छिता आयरियं वा-जाद-गणावच्छेदयं वा किन्तु उन्हें पूछकर अन्य आचार्य या उपाध्याय को याचना अझ आयरिय उबझायं उद्दिसावेसए।
देने के लिये जाना कल्पता है। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पा अन्न आयरिय-उपग्मायं वे यदि आज्ञा दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को वाचना हिसावेतए।
देने के लिये जाना कल्पता है। ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पा अन्नं आयरिय- वे यदि आज्ञा न दें तो अन्य आचार्य या उपाध्याय को जबनमाय उद्दिसावेत्तए।
वाचना देने के लिये जाना नहीं कल्पता है। नो से कप्पा तेसि कारणं अदीबेत्ता अन्न आयरिय-उबम्साय सपने आचार्य या उपाध्याय को कारण बताए बिना अन्य उहिसाबेसए।
आचार्य या उपाध्याय को वाचना देने के लिये जाना नहीं
कल्पता है। कम्प से तेसि कारणं बोवेत्ता अन्न आयरिय-उवलायं किन्तु उन्हें कारण बताकर अन्य आयाय या उपाध्याय को उदिसावेतए।
-कप्प. उ. ४, सु. २६-२८ वाचना देने के लिए जाना कल्पता है। अण्णगणाओ आगयाणं गणपवेसस्स विहि-णिसेहो-- अन्य गण से आये हओं को गण में सम्मिलित करने के
विधिनिषेध५०२. मो कम्पा निर्णयाण वा निग्गयोण वा निधि अपनगणामो ५०२. खण्डित शबल, भिन्न और संक्लिष्ट आहार वाली अन्य
आगयं खुयायारं, सबलायार, भिन्नायारं, मंफिलिटायारं गण से आई हुई निम्रन्थी को सेवित दोष की आलोचना, प्रतितस्स ठाणस अणालोयावेता अपहिक्कमावेसा, अनिदावेता, क्रमण, निन्दा, गर्हा, म्युत्सर्ग एवं आत्म-शुद्धि न करा लें और अगरहावेत्ता, अविउट्टावेत्ता, अक्सिोहावेत्ता, अकरणाए, भविष्य में पुन: पापस्थान सेवन न करने की प्रतिज्ञा कराके दोषाअणमुट्ठावेत्ता, अहारिहं पायच्छित अपडियज्जावेत्ता उबटुइ- नुरूप प्रायश्चित्त स्वीकार न कराले तब तक निर्ग्रन्थ निग्रंन्थियों वेत्तए वा, संभुजित्तए वा, संवसित्तए वा, तीसे इत्तरिय को उसे पुनः चारित्र में उपस्थापित करता, उसके साथ सांभोविसं वा, अणुविसं वा, उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा। गिक व्यवहार करना और साथ में रखना नहीं कल्पसा है, तथा
उसे अल्पकाल के लिए दिशा या अनुदिशा का निर्देश करना या धारण करना नहीं कल्पता है ।