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________________ संयम से भेद-प्रभेव संयमी जीवन [१३ सबंदुछउमत्थखीणकसायचीयरागसंजमे विहे पण्णते, तं स्वयं बुद्ध छमस्थक्षीणकषाय वीतराग संयम दो प्रकार का जहा कहा गया है, यथापढमसमयसयंत्रुद्ध उमत्थखीण फसायवीतरागसंजमे चेव प्रथमसमय यंबुद्ध छदमस्थक्षीणकपाय बीतराग संयम और अपढमसमयसयंबुद्ध उमस्परखीणकसायचीतरागसजमे वेव। अप्रथमममय-स्वयंबुद्ध-छदमस्थक्षीणकषाय वीतरागसंयम । अहवा-चरिमसमयसयंबुजछउमत्यवीणकसायवीतरागसंजमे अथवा नरमसमय स्वयं बुद्ध छमस्थ क्षीणकपाय वीतराग चेव, अचरिमसमयसयंबुद्धछ उमत्यवीणकसायवीतरागसंजमे संयम और अ पय स्वयं बुद्ध-मस्थक्षीणकषाय वीतरागचंव। संग। बुद्धबोहियछ उमस्थवीणकसायबोतरागसंजमे दुबिहे पण्णसे, बुद्धयोधितमस्तक्षीणकषायवीतरागसंयम दो प्रकार का कहा गया है, यथा- . पढमसमयधुद्धबोहियछउमत्यत्रीणफसायवीतरागसंजमे चेव, प्रथमभगय बुद्धबोधित छद्मथक्षीणकषायीतरागसंयम और अपढमसमयबुद्धचोहिय छउमत्यस्यीणकसायवीतरागसंजमे चैव। अप्रथमममय बुसबोधित छद्मस्थ क्षीणकपाय वीतराग संयम । अहका चरिमसमययुद्धयोहियछउमथस्वीणकसायवीयराम- अथवा चरमसमय बुद्धबोधित छद्भस्थक्षीणकषायवीतराग संजमे चैव, अचरिमसमयबुद्धबोहियछ उमस्थतीणकसायचीय. संयम और अचरमसमय बुद्धबोधित छद्मस्थक्षीणकषाय वीतराग रागसंजमे घेव। संयम । केवलिखीणकसायवीनरागसंजमे दुबिहे पण्णसे, तं जहा-- केवली-क्षीणकषाय वीतरागसंवम दो प्रकार का कहा गया है, यथा-- सजोगिकेचलिखीणकसायवीतरामसंजमे थेव, अजोगिकेयलि- सयोग केवली-क्षीणवषाय वीतरागस यम और अयोगीखीणफसायवीतरागसंजमे चैव । केवली-क्षीणकषाय वीतराग संयम । समोगिफेवलिखीणकसायबोयरायसंजमे विहे पन्नते, तं सयोगी नेवली क्षीणकषाय वीतराग संयम दो प्रकार का कह गया है, यथापत्मसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे घेव, अपक्ष- प्रथम समय सयोगीकेवली क्षीणकषाय वीतराग रायम और मसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे चेय। अप्रथम समय सयोनीकेवली क्षीणकषाय वीतरागसंयम । अहवा चरिमसमयसजोगिकेवसिसीणकसायवीयराम संजमे अथवा घरमसमय सयोभी केवली क्षीणकषाय वीतरागसयम घेव, अचरिमसमयसजोगिकेवलिखीणकसायवीयराग संजमं और अचरमममय सयोगीकेवली क्षीणकवाय वीतराग यम । चेव । अजोगिकेबलिखीण कसायवीयरागसंजमे दुबिहे पन्नते, तं अयोगीकेवली क्षीणकपाय वीतरागसंयम दो प्रकार का कहा नहा गया है, यथापढमसमयमजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागस जमे चैव, अपढ- प्रथमरामय अयोगीकेवली क्षीणकषाय वीतरागसंयम और मसमयअजोगिकेशलिखोणकसायवीयरागसंजमे चैव । अप्रथमसमय अयोगीके बली क्षीगकताय वीतरागसंयम । अहवा चरिमसमयअजोगिकेवलिखीणकसायवीयरागसंजमे अथवा चरमसमय अयोगीकेबली क्षीणकषाय वीतरागसंयम चेव अचरिमसमयअजोगिकेवलित्रीणकसायवोयरागसंजमे और अचरम समय अयोगीकेपली भीणकषाय वीतरागसंयम । घेव। - ठाणं. ब. २, उ. १. सु. ६२ घउबिहे संजमे पग्णसे, तं जहा संयम के चार प्रकार हैं(१) मणसंजमे, (२) बहसंजमे, १. मन-मयम, २. वाक-संयम, (३) कायसंजमे, (४) उनगरणसंजमे । ३. काय-संयम, ४. उपकरण-संयम। बउविहे चियाए पण, तं जहा त्याग के चार प्रकार है-- (१) मणचियाए, (२) वहचियाए, १. मन-त्याग, २, बाकु-न्याग, (३) कायचियाए, (४) उवगरणचियाए। ३. काय-त्याग, ४. उपकरण-श्याग: चश्विहा ऑकवणता पण्णता, लं जहा - अकिञ्चनता के चार प्रकार हैं(१) मणकिवणता, (२) बहकिंचणता, १. मन-अकिञ्चनता, २. वाक्-अकिञ्चनता,
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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