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सन २०१
निषित स्थानों पर वस्त्र सुखाने के प्रायश्चित्त पूत्र चारित्राचार : एषणा समिति
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जे भिक्खू ससिणिवाए पुढवीए अत्यं आयावेज्ज वा, पया- जो भिक्षु स्निग्ध पृथ्वी पर वस्त्र को सुखावे, सुखबावे, बेज्ज वा, आयात बा, पयावंत वा साइज्जइ
सुखाने वाले का अनुमोदन करे ।। जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए वत्थं आयावेज्ज वा, पयावेज जो भिक्षु सचित्त रज वाली पृथ्वी पर बल को सुखावे, वा, आयावतं वा, पयावर्त वा साहज्जद।
सुखवावे, सुखाने वाले का अनुमोदन करे । जे मिक्खू मट्टियाकडाए पुढवीए वत्थं आयावेज वा. पया- जो भिक्षु सचित्त मिट्टी बिखरी हुई पृथ्वी पर बस्त्र को वेज्ज वा, आयार्वतं वा, पयावतमा साइज्ज।
सुनावे, सुखवावे, सुनाने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्खू चित्तमंताए पुढयोए वत्थं आयावेज वा, पया- जो भिक्ष सचित्त पृथ्वी पर वस्त्र को सुखाचे, सुखवाय, वेज्ज घा, आवावंत बा, पयावंतं वा साहणा।
सुखाने वाले का अनुमोदन करे ।। से भिक्खू वित्तमंताए सिलाए वत्थ आयावेज्ज वा, पयावेज जो भिक्षु सचित्त शिल' पर वस्त्र को सुखावे, सुखवावे, घा, आयावत वा, पयावत वा साइज्जइ ।
सुखाने वाले का अनुमोदन करे। जे सिक्ख चित्तमंताए लेलूए वत्यं आपावेज षा, पयावेज्ज जो भिक्षु सचित्त शिला खंड आदि पर वस्त्र को सुखावे, वा, आयादतं वा, पयावत वा साइमिड।
सुखवावे, सुखाने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू कोलाषासंसि वा वारुए जीवपइदिए, सअंडे, जो भिक्षु दीमक बादि जीवों से युक्त काष्ठ पर, तथ- अंडे, सपाणे, सबीए, सहरिए, समोसे, सउदए, सत्तिग-पग- प्राणी, बीज, हरी वनस्पत, ओस, उदक, उत्तिग (कोड़ी आदि वगमट्टिय-मक्कडा-संताणगंसि बत्वं आयावेज्ज वा, पयावेज्ज के घर) लीलन-फूलन, गीली मिट्टो और मकड़ी के जालों युक्त वा, आयावतं वा, पयावतं वा साइज्जइ ।
स्थान पर चस्व को सुखावे, मुखबारे, सुखाने वाले का अनुमोदन
_करे। जे भिक्खू पूर्णसि बा, गिहेलुगंसि वा, उसुयासि वा, काम- जो भिक्षु ढूंठ, देहली, ऊखल या स्नान करने की चौकी जालंसि वा, अग्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिपसजायंसि तथा अन्य भी इस प्रकार के अन्तरिक्ष जात (आकाशीय) स्थान चुम्बद्धे-जात्र-चलाचले वत्वं आपावेल बा, पयावेज्ज था, जो शिपिल-यावत्-अस्थिर हो उन पर वस्त्र सुखाये, सुखवावे आयावंतं वा, पयावंतं वा साइजई।
सुखाने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू कुलियंसि बा, भित्तिसि बा, सिलसि वा, लेलुसि जो मिस इंट को दीवाल, निट्टी आदि की दीवाल, शिला, वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि दुम्बवे शिलाखंड आदि तथा अन्य भी इसी प्रकार के अन्तरिक्षजात -जावत्रलाचले वत्थं आयायेज्ज वा, पयावेज्न वा आमावतं (आकाशीय) स्थान जो शिथिल-यावत्-अस्थिर हो उन पर वा, पयावतं वा साइज्जइ।
वस्त्र सुसावे, सुखवारे, सुखाने वाले का अनुमोदन करे। जे मिक्खू खंधसि वा, मंसि या, मालंसि वा, पासायसि जो भिक्षु स्कन्ध पर, मंच पर, माल पर, प्रासाद पर, वा, हम्मिपतलसि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंत- महल (हवेली) के छत पर तथा अन्य भी इस प्रकार के अंतरिक्ष लिक्खजायंसि बुचडे-जाव चलाचले बत्थं आयावेज वा, जात (आकाशीय) स्थान जो शिथिल-यावत्-अस्थिर हों उन पयावेज्ज वा, आयातं वा, पयावत वा साइजइ। पर वस्त्रा सुसावे, सुखवावे, सुखाने वाले का अनुमोदन करे । सं सेवमाणे आबज्जइ चाउम्मासिय परिहारहाण उग्धाइय। उसे चातुर्मासिक उद्घातिन परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. १८, सु. ५३-६३ जाता है।