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________________ ५१६] वरणानुयोग प्रज्ञापनी माषा सूत्र ७६७ उ०--हंता गोयमा ! जाय इस्थिवधू, जाय पुमवयू, जाय उ०—हां, गोतम ! यह जो स्त्रीवचन है और जो पुरुषवचन गपुसगवयू पग्णवणी गं एसा भासा, ण एसा भासा है अथवा जो नपुसकवचन है, यह भाषा प्रज्ञापनी है और यह मोसा। भाषा मृषा नहीं है। 40-अह भंते ! जा य इत्थिाणभणी, जा य पुमाणमणी Fo.--भगवन् ! यह जो स्त्री-आज्ञापनी है और जो पुरुष जायणपुसगाणमणी पपणवणो णं एसा भासा? आशापनी है अथवा जो नपुसक-आज्ञापनी है, क्या यह प्रज्ञापनी म एसा भासा मोसा ? ___ भाषा है। यह भाषा मृषा नहीं है ? उ.-हंता गौयमा ! जा य इथिआगमणी, जाय पुम- उ०—हा, गौतम ! यह जो स्त्री-आज्ञापनी है और जो आणमणी, जायणपुसगाणमणी. मी कसा पुरुष-आशापती हे अथवा जो नपुंसक-आशापनी है, यह भाषा भासा, ण एसा भासा मोसो । प्रज्ञापनी है। यह भाषा मृषा नहीं है। प७ - अहे ते | जा य इत्थीपग्णवणी, जा य पुमपण्णवणी, म.-भगवन् ! यह जो स्त्री-प्रज्ञापनी है और जो पुरुष जा य पुसगपण्णवणो, पण्णवणी गं एसा भासा? प्रज्ञापनी है अथवा जो नपुंसक-प्रज्ञापनी है, क्या यह प्रज्ञापनी ण एसर भासा मोसा? भाषा है ? यह भाषा मृषा नहीं है ? हंता गोयमा ! जा य इस्थीपष्णवणी, जा य पुमपण्ण- उ० - हाँ, गौतम ! यह जो स्त्री-प्रज्ञापनो है और जो पुरुपवणी, जा य पण्णवणो णपुसगपण्णवणी, गं एसा प्रज्ञापनी है अथवा जो नपुंसक-प्रज्ञापनी है, यह प्रज्ञापनी भाषा मासा, ण एसा भासा मोसा। है और यह भाषा मृषा नहीं है। प०-अह भंते ! जा जातीति इस्पिषन जाईति पुमवयू प्र. -भगवन् ! जो जाति में स्त्रीवचन है, जाति में मातीति गपु'सगलयू पण्णवणी गं एसा भासा ? ण पुरषवन है और जाति में नपुंसकवचन है क्या यह प्रजापनी एसा भासा मोसा? भाषा है ? यह भाषा मृषा नहीं है? १०-हंता गोयमा ! जातीति इस्थिवयू, जातीति पुमवयू, -हो, गौतम ! जो जाति में स्त्रीवचन', जाति में पुरुष जातोति णपुंसगवयू. पण्णवणी णं एसा मासा, ण वचन है अपवा जाति में नपुसकवचन है, यह प्रज्ञापनी भाषा है एसा भासा मोसा। और यह भाषा मृषा नहीं है। प०–अह मंते ! जाईति इस्थिआणमणी. जाईति पुमाण- प्र० - भगवन् ! अव प्रश्न यह है कि जाति में जो स्त्री मणी, जाईति णसगाआणमणो, पण्णवणो णं एसा आज्ञापनी है, जाति में जो पुरुष-आज्ञापनी है अथवा जाति में भासा? ण एसा भासा मोसा ? नपुसक-आज्ञापनी है, क्या यह प्रज्ञापनी भाषा है ? यह भाषा मृषा नहीं है। उ.--हंता गोयमा ! जातीति इत्योआणमणी, जातीति उ.-हाँ गौतम ! जाति में जो स्त्री-आज्ञापनी है, जाति में पुमाणमणी, माप्तीति गपु सगाणमणी, पण्णवणी गं जो पुरुष-आज्ञापनी है या जाति में जो नपुसक-आज्ञापनी है, यह एसर भासा, ण एसा भासा मोसा । प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा (असत्य) नहीं है। प-अह मते 1 जातीति इत्थिपण्णवणी, जातीति पुमपण्ण- प्र- भगवन् ! इसके अनन्तर प्रश्न है- जो जाति में स्त्री वणी, जातीति गपु सगपण्णवणी, पण्णवणो णं एसा प्रज्ञापनी है, जाति में गुरुष : ज्ञापनी है अथवा जाति में नपुसकभासा? ग एसा भासा मोसा ? प्रज्ञापनी है, क्या यह भाषा प्रजागनी है ? यह भाषा मृषा तो उ०—हंता गोपमा ! जातीति इत्यिपण्णवणी, जातीति पुम- उ०—हाँ गौतम ! जो जाति में स्त्रो-प्रज्ञापनी है, जाति में पण्णवणी, जातीति णमुसगपण्णवणी, पपणवणी में पुरुष-प्रज्ञापनी है अपवा जाति में नमक-प्रज्ञापनी है, यह एसा मासा, ण एसा भासा मोसा । प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है। –पण प० ११, सु. ८३२ से १३८
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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