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सूत्र७%8346
भाषा के भेव-प्रभेद
चारित्राचार [५११ worrimmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm ५०--इच्चयाई भंते! चत्तारि भासाज्जायाई भासमाणे
किना -भगवन् ! इन चारों भाषा-प्रकारों को वोलता हुआ आराहए विराहए?
(जीव) आराधत होता है अथवा विराधक ? -गोयमा ! इस्याई चत्तारि भासम्मायाई आउत्तं . उ०-गौतम ! इन चारों प्रकार की भाषाओं को उपयोगभासमाणे भाराहए, जो विराहए।
पूर्वक बोलने वाला आराधक होता है, विराधक नहीं। तेणं परं अस्संजयाविरयापजिहयापच्चक्खाय पाव- उमसे पर (अर्थात् बिना उपयोग के बोलने वाला) जो कम्मे सच्चं वा भासं भासंतो मोसं वा सच्चामोसं असंयत, अनिरत. पापकर्म का प्रतिघात और प्रत्याख्यान न करने वा असच्चामोसंग भासं भासमाणे पो आराहए, बाला गत्यभाषा, मृषाभाषा, सत्यामृषा और असत्यामृषा भाषा विराहए।
.-पण्ण. प. ११, मु. ८६६ बोलता हुआ (ब्यक्ति) आराधक नहीं है, विराधक है । भासाए भेयप्पभेया
भाषा के भेद-प्रभेद -- ७८६. प०--कतिविहा पं भंते ! भासा पपणता?
७८१. प्र.-भगवन् ! भाषा कितने प्रकार की कही गई है ? जा---पोयमा ! दुविहा भासा पण्णता ।
उ०—गौतम ! भाषा दो प्रकार की कही गई है । वह इस तं जहा-पज्जत्तिया य, अपज्जत्तिया य । प्रकार है- पर्याप्तिका और अपर्याप्तिका। प.- पज्जत्तिया णं भंते ! भासा कतिविहा पण्णता? प्र.-भगवन् ! पारितका भाषा कितने प्रकार की कही
उ.-गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता ।
30-गौतम ! पर्याप्तिका भाषा दो प्रकार की कही गई
है । वह इस प्रकार हैतं जहा- सच्चा प, मोसा य ।
सत्या और मृषा। 40-सच्चा गं मंते ! भासा पज्जतिया कतिविहा पण्णता? प्र०-भगवन् ! सत्या-पर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की
कही गई है? उ.-गोयमा ! वसविहा पण्णता । तं जहा -
3०-गौतम ! वह दस प्रकार की कही गई है। वह इस
प्रकार है१. जगवयसरचा, २. सम्मत्तसन्धा, ३. ठवणासच्या, १. जनपदसत्या, २. सम्मतमत्या, ३. स्थापनामत्या, ४. णामसच्चा, ५. बसच्चा, ६ पडलचसच्चा, ४. नाममत्या. ५. रूपसत्या ६. प्रतीत्यसत्या, ७, व्यवहारसत्या, ७. ववहारसच्चा, ८. भावसस्था, . जोगसच्चा,.. भावसत्या, ह. योगसत्या और १०. औषम्यसत्वा ।
१० ओवम्मसच्चा। प०–मोसा णं भंते ! भासा पज्जतिया कतिविहा पणता? भ०- भगवन् ! भूषा-पर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार को
कही गई है? उ०—गोयमा । दसबिहा पणता। तं जहा
30.- गौतम ! (वह) दम प्रकार की कही गई है। वह इस
प्रकार है१. कोहणिस्सिया, २. माणणिस्सिया, ३. माया- १. क्रोधनिःसृता, २. माननिःसृता, ३. मायानिःमृता, पिस्सिया, ४. लोमणिस्सिया, ५. पेज्जपिस्सिया, ४, लोभनि:सृता, ५. प्रेयनिःगृता (रागनिःसृता), ६. द्वेष ६. बोसपिस्सिया, ७. हासपिस्सिया, ८. भयाणस्सिया निःसृता, ७. हास्य निःमृता, ८. भय नि.गृता. ६. आख्यायिका
६. अक्साइवाणिस्सिया, १०, उवधायणिस्सिया। निःनृता और १०. उपघात निःसृता। पल-अपज्जत्तिया गं भंते भासा कतिविहा पण्णता? म.--भगवन् ! अपर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही
१
ठाणं अ. १०, सु. ७४१ ।
२ ठाणं अ, १०, गु. ७४१ ।