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सूत्र ७८६
नौका विहार के प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
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जे भिक्खू पंकगओ थलगयस्स असणं वा-जाव-साइमं वा जो भिक्षु कीचड़ में खड़ा है और जमीन पर खड़े रहने वाले पडिग्गाहेह. पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।]
में अशन-यावत्-स्वाद्य लेता है. लिवाता है, लेने वाले का
अनुमोदन करता है।) [जे भिक्खू थलगओ गावागयत्स असणं वा-जात्र-साइम वा (जो भिक्षु स्थल पर पड़ा है और नाव में बैठने वाले से पडिग्गाहेर, पडिग्गाहेंत वा साहज्जइ ।
अगन—यावत्-म्वाद्य लेता है, लेने के लिए कहता है, लेने वाले
का अनुमोदन करता है। जे मिक्ख यलगओ जलगयस्स असणं या-जाव-साइमं वा जो भिक्षु स्थल पर खड़ा है और जल में खड़े रहने वाले से पडिगाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साहज्जह ।
अशन-यावत्-स्वाध लेता है, लेने के लिए कहता है, लेने
वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू यसगओ पंकगयस्स असणं वा-जाव-साहनं वा जो भिक्ष स्थल पर खड़ा है और कीचड़ में खड़े रहने वाले पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइजइ ।
से अशन--.-यावत्-स्वाद्य लेता है, लेने के लिए कहता है, लेने
वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू बलगओ अलगयस्स असणं बा-जाब-साइमं वा जो भिक्षु स्थल पर खड़ा है और स्थल पर खड़े रहने वाले पडिमाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जद ।
से अशन-यावत् स्वाद्य लेता है, लेने के लिए कहता है लेने
वाले का अनुमोदन करता है ।) तं सेवमाणे आबज्जइ चाजम्मासियं परिहाराणं उग्धाइयं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि: उ०१८, सु० १-२३ आता है।
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॥ईर्यासमिति प्रकरण समाप्त ॥
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