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सूत्र ७१३-७१५
गन्ध सूंघने का प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
[४६३
गंध-जिषण पायच्छिस सुत्तं
गन्ध सूंघने का प्रायश्चित्त सूत्र-- ७१३. मे भित्र अरिसपट्ठियं गचं जिग्घर, जिात वा साइजइ। ७१३. जो भिक्षु अचित्त प्रतिष्ठित गन्ध सूचता है, सुंघवाता है,
सूंघने वाले का अनुमोदन करता है। * सेवमाणे आवमा मासियं परिहारहाणं उग्धाइय। उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
--नि.उ.२, सु. आता है। अप्पधियडोबगेण हत्थाइपधोवण पायच्छित्त सत्तं--- अल्प अचित्त जल से हाथ धोने का प्रायश्चित्त सूत्र७१४. भिक्खू लहुसरण सी प्रोवविद्यडेग वा उसिगोदवियण ७१४. जो भिक्षु अल्प अचित्त शीत जल या अल्प अचित्त उष्ण
वा हापाणि वा पायाणि वा कण्णाणि वा अच्छिणी या जल से हाथ, पैर, कान, अखि, दात, नख या मुंह (आदि) को ताणि वा नहागि वा मुह वा उच्छोलेज वा पन्छोलेज वा शक्षालिन करता है. धोता है प्रक्षालित करवाता है, घुलवाता उन्छोलतं वा पछोलतं वा साहज्जद्द ।
है, या प्रक्षालन करने वाले का, घोने वाले का अनुमोदन
करता है। तं सेवमाणे आवाज मासियं परिहारद्वाणं अणुग्धाइयं । उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
- नि.उ. २. सु. २१ आता है। कोउहल्ल पडियाए सम्धकज्जकरणस्स पायपिछत्त सुत्ताई - कौतुहल के संकल्प से सभी कार्य करने के प्रायश्चित्त
सूत्र७१५. जे भिक्खू कोउहल्ल-वडियाए अण्णयर तसपाणजाई. १. तण- ७१५. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से किसी एक बस प्राणी को
गासरण था, २. मुंज-पासएण वा, ३. कट्ठ-पासएण वा. (१) वृण के पास से. (२) मुंज के पास से (३) काष्ठ के पास ४. धम्म-पासएग वा, ५. वेत-पासएण वा ६. रज्जु-पासएण से, (४) चर्म के पास से, (५) वेत्र के पास से, (६) रज्जु के वा, ७. सुत्त-पासरण वर बघा धंतं वा साइजह। पास से, (७) सूत्र के पास से बांधता है, बंधवाता है, बांधने
बाले का अनुमोदन करता है । जे मिक्सू कोउहरूल-पडियाए अण्णयरं तसपाण जाई सण- जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से किसी एक त्रस प्राणी जाति पासएक वा-जाव-सुत्त-पासएक वा बहरलयं मुयइ. मुयंत वा को तृण पास से .. यावत् - सूत्र पास से बँधे हुए को मुक्त करता साइन्मा।
है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिखू कोउहाल-पडियाए १. तणमालियं वा, २. मुंज- जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से (१) तृण की माला, (२) मालियं था ३. भेगमालियं सा, ४ मपणमालियं वा, मुंज की माला, (३) भीड की माला. () मदन की माला, ५. पिछमालियं वा ६. समालियं वा, ७. सिंगमालिय बा, (५) पीछ की माला, (६) दंत की माला (5) सींग को माला, ८. संखमालियं वा. ६. हाडमालियं वा, १०, कटुमालियं (८) शंख की माला, () हड्डी की माला, (१०) काष्ट की वा, ११, पत्तमालिय वा, १२. पुष्कमालियं वा, १३. फल- माला, (११) पत्र की माला, (१२) पुष्प की माला, (१३) फल मालिप बा, १४. शीयमालियं वा, १५. हरियमालियं वा की माला, (१४) बीज की माला, (१५) हरित की माला करता करेक, करेंत वा साइजः ।
है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिमण कोउहरूल-पहियाए तग-मालियं वा-जाव-हरिय- जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से तृण की माला-यावत्-- मालियं धरे घरेतं वा साइजई।
हरित की माला धरता है. धरवाता है, धरने वाले का अनुमोदन
करता है। जे भिक्षु कोउहरूल-पडियाए तण मालियं वा-गाव-हरिय- जो भिक्षु कौतूहल के संकल्पामे तृण की माला -यावत्मालियं या विषा विणतं वा साईकाइ ।
हरित की माला पहनता है, पहनाता है, पहनने वाले का अनु
मोदन करता है। भिक्खू कोउहल्ल-पडियाए १. अयलोहागि वा, २. तंब- जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से (१) अथलोहा, (२) तांत्र सोहाणि वा, ३. तज्यलोहागि वा, ४, सीसलोहाणि वा, लोहा, (३) पु लोहा, (४) सीसक लोहा, (५) रूप्य लोहा,
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