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वरणानुयोग
विनिवर्तना का फल
प्रत्र ७०३-७०४
विणियट्टणाफलं--
विनिवर्तना का फल७०३. १०-विणियट्टणयाए गं भंते ! जीवे कि जणयह ? ७०३. प्र०-भन्ते । दिनिवतंना (इन्द्रिय और मन को विषयों
से दूर रखने) से जीव क्या पाप्त करता है? उ०—विणियट्टणयाए णं पायकम्माणं अकरणयाए अन्भुट्ठी। उ०-विनिवर्तना से वह नये सिरे से पाप-कर्मों को नहीं पुश्वयद्वाण य निज्जरणयाए तं निपत्तइ तो पच्छा चाउरतं करने के लिए तत्पर रहता है और पूर्व-अजित पाप-कमों का संसारफतारं बीइबयह।
क्षय कर देता है-इस प्रकार वह पापकर्म का विनाश कर देता -उत्त. अ. २६, सु. ३४ है। उसके पश्चात् चार-गति रूप चार अन्तों वाली संसार अरबी
को पार कर जाता है।
आसक्ति करने का प्रायश्चित्त-६
सहसवणासत्तिए पायच्छित्त सुत्ताई.-.
शब्द धबणासक्ति के प्रायश्चित्त सूत्र७०४. जे मिक्खू १. भेरि सहागि वा, २. पडह-सहाणि वा, ३. ७०४. जो भिक्षु (१) गेरी के शब्द, (२) पटह के शब्द, (३)
मुरव-सहाणि वा, ४. मुइंग-सद्दरणि था, ५. दि-सदाणि या, गुरज के नन्द, (४) मृदंग के शब्द. (२) नान्दी के शब्द, (६) ६. सल्लरी-सद्दाणि वा, ७. वल्लरि-सद्दाणि वा, ८. डमख्य- झालर के माद, (७) वल्लरी के शब्द (८) डमरू के शब्द (6) सदाणि पा. ६. मडय सदाणि वा, १०. सबढुय-सामि महार के गन्द ... सदृश के सद(११) प्रदेश के शब्द, ११. पएस-सहाणि बा, १२. गोलुकि सद्दापि वा अन्नयराणि (१२) गोजुकी के शब्द अन्य ऐसे वादों के शब्द सुनने के संकल्प पा तहप्पगाराणि बितताणि सहाणि कण्णसोय-पडियाए अभि- से जाना है, जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन संधारेइ अभिसंधारेत बा साइजह :
करता है। जे भिक्खू १. वीणा सदापि वा, २. विपंचि-सहाणि या, ३. जो भिक्ष (१) बीणा के गब्द, (२) विपंची के शब्द, (३) सुण-सहाणि या, ४. बावीसग सहागि वा, ५. वीणाक्ष्य- तूण के शब्द, (८) बब्बीशग के शब्द, (२) वीणादिक के सन्द, सहाणि बा, ६. तुंबवीणा-सहाणि वा, ७. सोडय-सहाणि वा, (६) तुम्बवीणा के शब्द, (७) जोटक के शब्द, (4) हुंकुण के #. ढंकुण सहाणि चा. अण्णर्यराणि वा तहप्पगाराणि तताणि शब्द अन्य ऐसे वाद्यों के शब्द सुनने के संकल्प से जाता है, जाने सहागि कण्णसोय-पडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारतं वा के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन करता है। साहज्जा। ने भिक्खू १. ताल-सहाणि वा. २. कंसतास-सहाणि बा, ३. जो भिक्षु (१) ताल के गद, (२) कंसताल के शब्द, (३) लिस्तिय-सदाणि वा, ४. गोहिय-सदाणि या, ५. मकरिय- लत्तिक के शब्द, (४) गोहिक के शब्द, ५) मकर्य के शब्द, सहाणि था, ६. कच्छभि-सहागि वा, ७. महति-सहाणि वा, (६) कच्छभि के पद, (७) महती के शब्द (८) शापालिका के ८. सणालिया सहाणि या, इ. वलिया-सहाणि वा अण्णयराणि शब्द, (E) बलीका के शब्द, अन्य ऐसे शब्द सुनने के संकल्प से या तहप्पगाराणि धणाणि सहाणि कण्णसोव-पडियाए अभि- जाता है. जाने के लिए कहला है, जाने वाले का अनुमोदन संधारे अभिसंधारते वा साइज्जइ।
करता है। से भिक्खू १. रुख-सहाणि था, २. बंस-सहाणि वा, ३. वेणु जो भिा (१) पल के शब्द, (२) वाम के शब्द, (३) वेणु सहाणि बा, ४. खरमुही-सहाणि वा, ५, परिलिस-सहाणि के शब्द, (४) खरमुहि के शाद, (५) परिलिस के शन्द, (६) वा, ६. वेवा-सहाणि वा अण्ण यराणि वा तहप्पाराणि अति- बेगा के शब्द अन्य ऐसे ही पान्द सुनने के संकल्प से जाता है, राणि सहागि कण्णसोय परियाए अमितधारेड अभिसंधारेंस जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन करता है। वा साइजह । तं सेवमाणे आवज चाउम्भासिपं परिहारद्वाणं उग्धाइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
- नि.उ.१७, सु. १३५-१३८ आता है।।