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________________ ३१) परणामुयोग मएन सेवन के संकल्प से शरीर का परिकर्म करने के प्रायश्चित्त सूत्र Nava मथुन के संकल्प से स्व-शरीर परिकर्म के प्रायश्चित्त-८ मेहणडियाए कायपरिकम्मरस पायकिछत्त सुत्ताह ५६. ने निक्यू मारणामस्स मेहुणजियाए अम्मको कार्य भामजनम वा, पमज्ज्म वा, भामजतं वा, पमजंतं वा सामा। मैथुन सेवन के संकल्प से शरीर का परिकर्म करने के प्रायश्चित्त सूत्र-- ५६..जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियां जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर का मार्जन करे, प्रमार्जन करे, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, मार्जन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर का मर्दन करे, प्रमर्दन कर, मर्दन करनावे, प्रमर्दन करवाये, मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन अभिवण माजगामस्स मेहगवधिमाए अपणो कार्य संबाहेज्ज था, पलिमद्देज्जमा, मंबात वा, पलिम तं वा साइन्माद । करे। मे मिरवू माजग्गामस्स मेहणपडियाए अप्पणो कार्य तेल्लेग पा-जाद-गवणीएम वा, मावेज्न बा, मिलिगेज्म या, माह बा. मिलिगेंतं वा साइजा। ने मिस्सू माउागामस्स मेहुणबडियाए अपणो कार्य-- मोडेगा-जाव- बण वा, उस्लोस्लेज वा, उम्वटज वा, स्तोतं ना, उम्बदृतं वा साइम्स जो मिल माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसको (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर पर तेल-पावत्-मक्खन, मले, बार-बार मले, मलबावे, बार-बार मलबावे, मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेबन का संकल्प करके अपने शरीर पर लोध-पावत्-वर्ण से, उबटन करे, बार-बार उबटन करे, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवाने, उबटन करने वाले का, पार-बार उबटन करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर को अचित्त शीत जल से या चित्त उष्ण जल से, घोये, बार-बार धोये, धुलवावे, बार-बार पुनवावे, धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (एसी स्वी) मैपुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर को मिरवू माडग्गामास मेहनमडियाए अपणो कार्य सौधोग-बियण या, उसिणोडगवियरेण बा, कोलेज वा, पधोएग्जा , छो मेंतं वा, पोएत वा साइजह । में मिक् माजगामास मेहणवधिमाए सम्पणो कार्य
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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