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________________ ३९६] वरणानुयोग विभूषा के संकल्प से चक्षु परिकम के प्रायश्चित्स पत्र १२५८४-५८५ जे विष विभूसावडियाए अपणो दंते जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने दांतों कोफूमेज्ज वा, रएज्जया, रंगे, वार-बार रंगे, रंगवावे. बार-बार रंगवाये, फूमेंतं वा, रएतं वा साइज्जइ । रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । तं मेवमाणे आवज्जइ चाउम्भासियं परिहारद्वाणं उग्घाइयं । उसे चातुर्मासिव उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. उ. १५, सु. १३१-१३३ आता है। बिमसावडियाए अच्छीपरिकम्मरस पायच्छित सुत्ताई- विभूषा के संकल्प से चक्षु परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र५५५. जे मिक्खू विसावडियाए अपणो अच्छीणि ५८५. जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपनी आँखों काआमज्जेज्ज वा, पमजेज्ज वा, मार्जन करे, प्रमार्जन करे, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, मामज्जंत बा. पमजंतंबा साहज्जन । माजन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो अच्छीणिसंसहेज्जधा, पलिमद्दज्ज वा, सबाहेंत वा, पलिमद्देस बा साइन्जद । जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो मच्छीगितेल्लेण वा-जाव-वणीएण वा, माखेज वा, मिलिगेज बा, मक्वंतं का, मिसिगेंतं वा साइज्जह । जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो अमछोणिसोखंण वा-जाव-वण्णण वा, उल्लोलेज पा, उध्वज था, जो भिक्ष विभूषा के संकल्प से अपनी आँखों कामर्दन करे, प्रमर्दन करे, . मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवाये, मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपनी आँखों परतेल-यावत् - मक्खन, मले, बार-बार मले, मलका, बार-बार मलवाये, मलने वाले वा, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपनी आँखों पर-- लोध,-यावस्-वर्ण का, उबटन करे, बार-बार उबटन करे, उबटन करवाये, बार-बार उबटन करवाके, उबटन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपनी आँखों कोअचित्त शीत जल से या अचित उष्ण जल से, धोवे, बार-बार धोबे, धुलवाये, बार-बार धुलवारे, धोने वाले का, बार-बार धोने शले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपनी आँखों कोरंगे, बार-बार रंगे, रंगवावे, बार-बार रंगवाये, रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) आता है। उल्लोलेंतं वा, उबट्टत वा साइजद । जे मिक्खू विघ्नसायजियाए अपणो अच्छीणिसीओवगवियडेग वा, सिपोवगविपत्रेण वा, छोलेज बा, पधोएज्म बा, छोलेत वा, पछोएतं वा साइजा। जे मिष विभुसावडियाए अपणो अच्छोणिफूमेज वा, रएग्म वा, फूमतं वा, रयंतं वा साइज्जा । सं सेवमाणे आवजह चाउम्मासियं परिहारदाण उपाइयं। -नि.उ.१५, सु. १४२-१४७
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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