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________________ सूत्र ५६५.५६८ अभ्यतीयिक या गृहस्थ के नखानों के परिकर्म का प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार 3८७ अण्णउत्थियस्स गारत्थियस्स णहपरिकम्म-पायच्छित अन्यतीथिक या गृहस्थ के नखानों के परिकर्म का प्रायसुत्तं - श्चित्त सूत्र५६७. जे मिब अण्णउत्यियस्स वा, पारस्थियास वा बीहाओ नह- १६७. जो भिक्षु अन्यलीथिक या गृहस्थ के लम्बे नसानों को सिंहाओकप्पण्ज वा, संठवेरावा, काटे, सुशोभित करे, कटनादे, सुशोभित करवाये, फप्तं वा, संठवतं वा साइजद । काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन कर। तं सेवमाणे आवजइ चाउम्मासि परिहारहाणं अणुग्धाइयं । उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. उ. ११, सु. ३६ आता है। अण्णउत्थियस्स गारत्थियस्स जंघाइरोम-परिकम्म-पाय- अन्यतीर्थिक या गृहस्थ के जंघादि के रोमों का परिकर्म च्छित्त सुत्ताई करने के प्रायश्चित्त सुत्र . ५६८. जे भिक्खू अण्णउस्थिपस्स बा, गारस्थियस्त वा बीहाई जंध- ५६८. जो भिक्षु अन्यतीदिक या गृहस्थ के जथा (पिण्डली) के, रोमाई लम्बे रोमों कोकम्पेज वा, संठवेज वा, काटे, सुशोभित करे, कटवावे, सुशोभित करवाये, कप्तं बा, संठतं वा साइज्जइ। काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू अण्णाररिपस्स वा, गारपियस्स वा चीहाई कमाण- जो भिक्षु जन्यतीथिक या गृहस्थ के बगल (कांन्च) के लम्बे रोमाई रोगों कोकप्पेज्ज का, संठवेज्ज बा, काटे, सुशोभित करे, कटवावे, सुशोभित करबावे, कप्तं वा, संठवेंतं या साइजइ । काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुगेदन करे। जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा, गारस्थियस्स वा बीहाई मंग- जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थ के श्मश्रु (दाढ़ी मूंछ) के रोमा लम्बे रोमों कोकज बा, संठवेज्ज वा, . काटे, सुशोभित करे, कटवावे, सुशोभित करवाये, कप्तं वा, संठवेत वा साइज्जइ । काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। मे भिक्षु अग्णउस्थियस बा, गारस्थियम वा बीहाई मस्यि जो भिक्षु अन्यतीथिका या गृहस्थ के बस्ति के लम्बे रोमों रोमाईकम्पज वा, संठवेज्ज बा. काटे, सुशोभित करे, कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्त वा, संठवेस वा साइजह । काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन कर जे मिक्खू अण्णउत्थियस वा, गारस्थियस्स या दोहाई सक्षु जो भिक्षु अन्यतोषिक या गृहस्थ के चक्षु के लम्बे रोमों कोकप्पेज्ज वा, संठवेज्ज या काटे, सुशोभित करे, कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्त श, संठवेंत वा साइजा। काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। सेषमागे आवजह चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्याइयं। उसे चातुर्मासिक अनुपातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) - नि. .११, सु. ३७-४१ आता है। को रोमाई
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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