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________________ ३४२] घरणानुयोग विभूषा के संकल्प से गण्डादि को चिकित्सा करने के प्रायश्विस सूत्र सूत्र ४६१ विभूसावडियाए गंडाइ तिगिच्छाए पायच्छित्त सुत्ताई- विभूषा के संकल्प से गण्डादि की चिकित्सा करने के प्राय विचत्त सूत्र४६१. जे भिक्खू विभूसावरियाए अपणो कार्यसि ४६१. जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने शरीर केगंडवा, जान-मगंदलं वा, गण्ड- यावत्-ममन्दर को, अनपरेणं तिपसेणं सत्यजाएणं. किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से, अग्छिवेज्ज बा, चिन्हिज्ज वा, छेदन करे, बार-बार छेदन करे.. छेदन करवावे, बार-बार छेदन करवावे, अन्छिदतं वा, विच्छित वा साइज्जइ । घेदन करने वाले का, बार-बार छेदन करने वाले का अनु मोदन करे। जे भिक्खू विभूसावडियाए अपणो कार्यसि जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने शरीर केगंड वा, जाद-मर्गवलं वा, गण्ड- यावत् -भगन्दर को, अन्नयरेणं तिक्खे सत्यनाएणं, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से, अपिछवित्ता वा, विच्छिवित्ता वा, देवन कर, बार बार छेदन कर, पूर्व वा सोणियं वा, पीप या रक्त को, नीहरेज्ज वा, विसोहेज्ज वा, निकाले, शोधन करे, निकलवावे, शोधन करवावे, मीहरत वा, विसोत वा साइज्जइ । निकालने वाले का, शोधन करने वाले का अनुमोदन करे। जे मिक्खू विभूसावरियाए अप्पणो कार्यसि जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने शरीर केगरबा, जाव-प्रगल वा, मण्ड-यावत् - भगन्दर को, अन्नयरेण तिवखेणं सत्यजाएणं, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से, अच्छित्तिा वा, विच्छिवित्ता वा छेदन कर, बार बार छेदन कर, पूर्य वा, सोणियं वा, पीप या रक्त को, मोहरेसा वा, विश्लोहेता वर, निकाल कर, शोधन कर, सीमोग-वियरेण बा, जसिणीवमधिपण था, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलेग्ज वा, पधोएज्ज था,, धोए, बार बार धोए, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, सन्छोलेतं वा, पधोएतं वा साइज्जद । धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । जे मिक्सू विसावडियाए अपप्पो कार्यसि - जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने शरीर केगं बा-जाव-भगइल बा, गगह-यावत् - भगन्दर को, अनयरेणं तिक्षेणं सस्थजाएणं, किसी एक प्रकार के तीषण शस्त्र से, मपिछविता वा, विपिछविता वा, छेदन कर, बार बार छेदन कर, पूर्व वा, सोणियं वा, पोप पा रक्त को, मीहरेसाबा, विसोहेसावा, निकाल कर, शोधन कर, सीओबग-वियडेण वर, रसिणोषगवियोण वा, अचित्त पीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलेता था, पधोएता वा, धोकर, बार-बार धोकर, अन्नधरे आलेषणमाएणं, किसी एक लेप का, आलिज्ज वा, विसिपेज्ज वा, लेप करे, बार-बार लेप करे, लेप करवावे, बार-बार लेप करवावे, आलिपंतं वा विलितं वा सहना। लेप करने वाले का, बारबार लेप करने वाले का अनुमोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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