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पूर्व ४३४-४३१
भाषा से सम्बन्धित पाठ स्थानों का निवेध
बारित्राचार
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१. अलिपनपत्र, २. हीलियबयर्ग, ३. सिसियवय
४. फल्सवयचे, ५. गारस्थियमय ६. विसनिय मा पुनो जीरिसए।'
(1) अलीकवचन, (२) अवहेलनाजनक वचन, (३) खिसित वचन, (४) परुष रचन, (२) माहस्थ्य वचन, (6) शान्त कलह को पुनः प्रज्वलित करने वाला वचन। .
अट्ठ ठाणाइ निसेहो४३५. कोहे माणे प मायाए लोने बरबस्तया ।
हासे पए मोहरिए विगहोसु तहेब.॥
भाषा से सम्बन्धित आठ स्थानों का निषेध४३५. (१) क्रोध, (२) मान, (२) माया, (४) लोभ, (५) हास्य, (६) भय, (७) बापालता और (4) विकथा के प्रति सावधान रहे-इनका प्रयोग न करे ।।
प्रजावान् मुनि इन आठ स्थानों का वर्जन कर यथा-समय निरवा और परिमित वचन बोले।
एपा भद्र झगाई परिवजितु संजए। मसाधर मियालेनासं भासेज पत्र।।
-उत्त. भ. २४, गा, ६-१०
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ठाणं.म.६, सु.५२७ ।