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विषय सूत्रांक पृष्ठांक
सूत्रांक पृष्ठांक मन गुप्ति
वचन गुप्त के कृत्य
३२६ ७३४ मन गुप्ति का स्वरूप
बचन गुप्ति का प्ररूपण ववन गुप्ति का फल
७३४ चार प्रकार की मन-गुपित
७३५
वचन-समाधारणा का फल मन को दुष्ट अश्व की उपमा दम चित्त समाधिस्थान
७३१ . काय-गुप्ति-४ व्याकुल चित्तवृत्ति वाले के दुष्कन्य
३१८ कायगुप्ति का स्वरूप
७३५ दस प्रकार की ममाधि
कायमुप्ति के अनेक प्रकार
३३१ ७३५ इस प्रकार की असमाधि
कायगुप्ति का महत्व मन को वश में करने का करत
कायगुप्ति का फल मन समाधारणा का फल
३२२ ७३३
काय समाधारणा का फल मन की एकाग्रता का फल
७२४
इन्द्रियनिग्रह का फल वचन-गुप्ति-३
अधमन मुनि के अध्यवसाय वचन गुरित का स्वरूप
कायदण्ड का निषेत्र
३३७ ७३८ चार प्रकार की वचन गुप्ति
३२५ ७३४ अस्थि गसन वाला पाप श्रमण है ३३८
परिशिष्ट नं०१ अवशिष्ट पाठों का विषयानुकम से संकलन
सूत्रांक पृष्ठांक
पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक
पष्ठांक
आकार करने का प्रायश्चित्त मूत्र ७४५
अंग संचालन का प्रायश्चित्त मूत्र ७४५ २०(क) १५ भगवान की धर्म देशना ५१
४.० ६० (क) निर्गन्धों का आचार धर्म
मैथुन के संकल्प से वस्त्र निर्माण करने के प्रायधिवन मूत्र
४५ ज्ञान की उत्पत्ति अनुत्पनि के कारण ३४.
अकेली स्त्री के साथ रहने के २६२ (ख) १६५ अन्यतीथिनों को दर्शन प्रजापना
प्रायश्चित्त सूत्र ४५८ (ख) ३२२ ब्रह्मचर्य के अनुकूल ज्ञान
राजा और उनकी रानियों को देखने के ६१७ (ख) ४१४ सचित्त पृथ्वी आदि पर निषद्या करने के प्रायश्चित्त सूत्र
प्रायश्चित्त सूत्र अंक पल्यंक में निषयादि करने
के २ (ख) ६६ ग्राम रक्षक को वश में करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्र
७४६ प्रायश्चित्त सूत्र धर्मशाला आदि में निषद्यादि करने ७२२ (ग) ४६६ । राज्य रक्षक को वश में करने आदि के के प्रायश्चित्त मूत्र
५४३ प्रायश्चित्त सूत्र
७४६ पुदगल प्रक्षेपणादि के प्रायश्चित सूत्र ७४४ ७२५ (घ) ४७४ ।। भिक्षु के पांच महाव्रतों का पालन ७४६ पशु पक्षियों के अंग संचाननादि
के
९ ४२ (ख) ५६२ बाहर गये हुए राजा के आहार ग्रहण प्रायश्चित्त सूत्र
करने का प्रायश्चित्त सूत्र भक्त पान आदि के आदान-प्रदान करने १११ (ख) ५६० औषध सम्बन्धी क्रीतादि दोषों के के प्रायश्चित्त मूत्र
प्रायश्चित्त सूत्र वाचना देने लेने के प्रायश्चित्त सूत्र ५४५