________________
२६६]
धरणामुयोग
निग्रंथ द्वारा निर्गमी के गावि को चिकित्सा करवाने के प्रायश्चित्त सत्र
सूत्र ३.
जे जिग्गथे णिग्गयोए कार्यसि - गई वाजाव-भगवसं वा, अग्णटत्यिएण वा, गारथिएण वा, अन्नवरेणं तिमखेगं सत्यजाएग. अच्छिवावेत्ता वा, विक्छिदाविता श्रा, पूर्व वा, सोणियं वा, नीहरावेज वा, विसोहावेज्म बा, मोहरावत या, विसोहायतं वा साइज्ज। ने णिग्गये णिग्गंधीए कायसिगांवा, जाव-भगंबलं वा, अग्णउस्थिएण वा, गारथिएण वा, अनयरेणं तिनेणं मरषजाए, अच्छिवावेत्ता बा, बिस्छिवासा वा, पूर्व वा, सोणिर्य वा, नोहरावेत्ता वा, विसोहावेत्ता वा, सोओवग-विपडेण वा, उसिणोवग-बियण वा, उपछोलावेज वा, परोयावेज्ज वा, उच्छोलावतं वा, पधोयावेत वा साइजा। मे गिग्गथे णिगंथीए कार्यसिगई वा-जाब-भगंदलं वा, अण्णरथिएण वा, गारथिएण वा, अन्नयरेण सिपखणं सस्यजाएगं, अच्छिवावेत्ता वा, विच्छिदावेत्ता बा, पूर्व बा, सोणिय वा, , नोहरावेत्ता वा, विसोहावेत्ता वा, सोओवग-विषरेण वा, उसिगोदग-बियण या, उच्छोलावेत्ता वा, पधोयावेत्ता वा, अन्नपरेणं आलेवगजाएग, आलिपराज बा, विसिपावज वा, आलियावेत या, विलियावेतं वा साइज्जद।
जो निम्रन्थ निग्रंन्यी के शरीर के, गंडयावत्-भगंदर कोअन्यतीथिक या गृहस्थ से, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, छेदन कर, बार-बार छंदन कर, पीप या रक्त को, निकलवावे, शोधन करवावे, निकलवाने वाले का, शोधन करवाने वाले का अनुमोदन करे। जो निम्रन्थ निग्रन्थी के शरीर के, गंड-शषत्-भगंदर को, अन्यतोथिक या गृहस्थ से, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, छेदन करवाकर, शर-बार छेदन करवाकर, पीप या रक्त को, निकलाकर, शोधन करवाकर, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण बल से, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, घुलवानेवाले का, बार-बार धुलवानेवाले का अनुमोदन करे। जो निग्रन्थ निग्रंन्थी के शरीर के, गंड-यावत्-भगंदर को, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शास्त्र द्वारा, छेदन करवाकर, बार-बार छेदन करवाकर, पोप या रक्त को, निकलवाकर, शोधन करवाकर, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, धुलवाकर, बार-बार धुलवाकर, अन्य किसी एक लेप का, लेप करवावे, बार-बार लेप करवावे,
लेप करवाने वाले का, बार-बार लेप करवाने वाले का अनुमोदन करे।
जो निग्रन्थ निर्ग्रन्थी के शरीर के, गंड---यावद-भगंदर कोअन्यतीथिक या गृहस्थ से, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, छेदन करवाकर, बार-बार छेदन करवाकर, पीप या रक्त को, निकलवाकर, शोधन करवाकर, अचित्त शीत जल से, या अचित उप्ण जल से, घुलवाकर, बार-बार धुलवाकर,
जे गिग्गरे णिगंथीए कार्यसिगंडवा-जाव-मगंदल वा, अण्णारस्थिएग या, मारत्पिएण वा, अन्नपरेग तिस्पेणं सत्यजाएन, च्छिवावेत्ता वा, विपिछवावेत्ता बा, पूर्व वा, सोणियं वा, नौहरावसा वा, विसोहावेत्ता पा, सोओषग-वियोण वा, उसिणोदविपण वा, उन्छोलावेत्ता बा, पोयावेसावा,