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सत्र ३५६-३५७
अस्थिर थूणी आदि पर कायोत्सर्ग आदि करने का प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
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दुबद्धपणाइसु ठाणाइ करण पायच्छित्त सुत्ताई- अस्थिर थूगी आदि पर कायोत्सर्ग आदि करने का प्राय
श्चित्त सूत्र -- ३५६. मे भिक्खू १. चूगंसि वा, २. गिहेनुयंसि ना, ३. उसुकासि ३५६, जो भिक्षु अस्थिर स्तम्भ, देहली, ऊखल, स्नान करने की
पा, ४. मनसि या, अण्णयरंसि था तहपगारंसि अंत. चौकी आदि अन्य उस प्रकार के किसी ऊँचे स्थान पर अच्छी रिक्खजापंसि दुगवे दुणिविखते अणिकपे पलाचले ठाणं वा सरह बँधा हुआ नहीं, अच्छी तरह रखा हुआ नहीं, हिलता हुआ सेग्नं या मिसीहियं वा घेएइ यंतं श साइज्जद । अस्बिर होने पर कायोत्सर्ग करता है. सोता है, स्वाध्याय करता
है. परना है, करने वाले का अनुमोदन करता है। से मिक्स कुलिसिपा, २. मितिसि वा, ३. सिलसिया, जो भिक्षु अस्थिर सोपान, भीत, शिला और शिलाखण्ड ४. लसंसिबा अग्णयरंसि भातहप्पगारंसि अंतरिक्खशायसि आदि अन्य ऐसे ऊँचे स्थानों पर कायोत्सर्ग करता है-पावतहोम्मिमियत अगिरे बलाबले पाषा-जाव-णिसी- स्वाध्याय करता है। करवाता है, करने वाले का अनुमोदन हिवं बा चेएर यी वा साइम्जा ।
करता है। भिक्खू १.बंधसि वा. २. पलिहंसि वा, इ. मंचंति वा, जो भिक्षु अस्थिर स्कन्ध पर, आगल पर, मंच पर, मण्डप ४. मंग्यसि वा, ५. मालतिवा, ६. रासायसि पा, ७. हम्म- पर, माल पर, प्रासाद पर, तलघर पर या अन्य ऐसे अधर सलसिला अण्णयरंसि वाहप्पपारंसि अंतरिक्वजाय सि स्थानों पर कायोत्सर्ग करता है-पाव-स्वाध्याय करता है, मणिक्सिसे अणिकपेचलापले ठाणं वा-जाय-णिसी- या कायोत्सर्गादि तीनों कार्य एक ही स्थान पर करता है, हियं वा एव यंतं वा साना ।
करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है । त सेवमाने आवजह पाउम्मासिय परिहारद्वाणं उग्घाइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहार स्थान (प्रायश्चित्त)
__ -नि. उ. १३, सु. ६-११ आता है । पत्यारे पुढयोकाइयाइनिहरण पायच्छित्त सुत्ताई- वस्त्र से पृथ्वीकाय आदि निकालने का प्रायश्चित्त सूत्र२५७. जे भिक्खू बत्थानो पुढवीकार्य गीहरइ णीहरावेह णीहरियं ३५७. जो भिक्षु वस्त्र में (सचित्त) पृथ्वीकाय को निकालता है, अमहटु वेज्जमा पडिग्गाहेइ पडिग्यातं या साइज्जइ। निकलगाता है, निकाले हुए (वस्त्र) को लाकर दे उसे लेता है,
लेने के लिए कहता है या लेने वाले का अनुमोदन करता है। ने भिक्खू बत्थाओ आवकायं गीहरइ पीहरावेइ गोहरियं जो भिक्षु वस्त्र से (सचित्त) अप्काय को निकालता है, आहट्ट रेम्जमाणं पडिागाह पडिझगाहतं वा साइज्जइ । निवलवाता है, निकाले हए (वस्त्र) को लाकर दे उसे लेता है,
लेने के लिए कहता है. लेने वाले का अनुमोदन करता है। ने भिक्खू वत्याओ तेउकार्य पीहर पोहरादेइ गीहरियं जो भिक्ष वस्त्र से (सचित्त) अग्निकाय को निकालता है, आहट्ट देजमाणं पडिग्गाहेइ पहिरगाहंतं वा साइजद। निकलवाता है निकाम्ने हुए (वस्थ) को लाकर दे उसे लेता है,
लेने के लिए कहता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है। ने भिक्खू बस्थाओ कंदाणि बा--जाव-बीयाणि वा णीहए जो भिक्षु वस्त्र से (सचित्त) कन्दमूल -यावत्-बीज पीहरावेइ गीहरियं आहट्ट देम्जमाणं पभिगाहे पहिग्गन्हत निकालता है, निकलवाता है, निकाले हुए (वस्त्र) को लाकर दे बा साइजह।
उसे लेता है, लेने के लिए कहता है, लेने वाले का अनुमोदन
करता है। से भिक्खू वस्थाओ ओसाहिबीयाई जोहरचणीहरावेद पोह- जो भिक्षु वस्त्र से औषधी (सचित्त) बीज को निकालता है, रियं बाहट्ट देजमाण पहिरगाहेइ पविगाहंतं वा साइज। निकलवाता है, निकाले हुए (वस्त्र) को लाकर दे उसे लेता है,
लेने के लिए कहता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है। से मिक्खू बस्याओ तस राणजाई गोहर पीहरावेद गोहरियं जो भिक्षु वस्त्र से वन प्राणियों को निकालता है, निकलमाहट देजमाणं परिगाहेर परिसमाहत वा साइज्जइ। वाता है, निकाले हुए (वस्त्र) को लाकर दे उसे लेता है, लेने के
लिए कहता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है।