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________________ सूत्रं ३१७-३१३ पाँच संबर द्वार भारित्राचार २१६ पंच संवर दारा पांच संवर द्वार३१०.पंच संबर बारा पन्नता, तं जहा ३१०. पाच संवर द्वार कहे गये हैं. यथा१. सम्मतं, २. विरई, (१) सम्यक्त्व, (२) विरति, ४. 3:51 (३) अप्रमत्तता, (४) अकषायता, ५. अजोगया। -सम. ५, गु.१ (५) अयोगता या योगों की प्रवृत्ति का निरोध । महाजण्णं महायज्ञ३११. सुसंधुदा पंचाह संवरेहि, ३११. जो पान संवरों से सुसंवृत होता है, वह जीवियं अगवखमाणा। जो असंयमी जीवन की इच्छा नहीं करता है, वोसटुकाया सुइचत्तवेहा, जो कायर का व्युत्सर्ग करता है, जो शुचि है, महाजय जयइ जन्मसिद्ध। और जो देह का त्याग करता है, वह महाजयी -उत्त. अ. १२, गा. ४२ श्रेष्ठयज्ञ करता है। दसविहे संवरे दस प्रकार के संवर३१२. वसविध संवरे पण्णते, तनहा ३१२. संदर दस प्रकार का कहा गया है । जैसे१. सोतिबियसंवरे, २. चविखवियसंबरे, (१)ोवेन्द्रिय-संवर, (२) चक्षुरिन्द्रिय-संवर, २. धाणिवियसंवरे, ४. जिम्मिवियसंवरे, (३) घ्राणेन्द्रिय-संवर, (४) रसनेन्द्रिय-संवर, ५. फाति वियसवरे1 ६. मणसंबरे, (५) स्पर्शनेन्द्रिय-संबर, १८) मन-संबर, ७. वयसंवरे ८. कायसंवरे, (७) वचन-संवर, (क) काय-संबर, ६. उपकरणसंबरे, १०. सूचीकुसागसंवरे। (8) उपकरण-संवर, (१०) सूचीकुशाग्र-संवर। -याणं. अ. १०, सु. ७०६ बसविहा असमाहो दस प्रकार की असमाधि३१३. दसविधा असमाधो पाणता, सं महा ३१३, असमाधि दस प्रकार की कही गई है। जैसे१. पाणातियाते. २. मुसायाए, (१) प्राणातिपात अविरमण। (२) मृषावाद-अविरमण! ३. अविण्णादाणे, ४. मेहणे, (२) अदत्तादान अविरमण। (४) मैथुन-अविरमण । ५. परिसगहे, ६. इरिया समिती (५) परिग्रह-अविरमण । (६) ईया-असमिति । ७. मासासमिती, ' ८. एसणाऽसमिती, (७) भाषा-असमिति । (८) एषणा-असमिति । १. आयाण-मंग-मस-णिक्खेवणाऽसमिती । (९) आदान-भाण्ड-मत्र (पात्र) निक्षेप को असमिति । १०. उच्चार - पासवण-खेल-सिंघापन-जल्ल-परिद्वावणिया- (१०) उच्चार-प्रस्रवण-श्लेष्म-सिंघाण-जल्ल परिष्ठापना की समिती। -ठाणं. अ.१०, सु. ७११ असमिति । बसविहा समाही दस प्रकार की समाधिबसविधा समाधी पण्णता, तं जहा समाधि दस प्रकार की कही गई है। जैसे १. पाणातिवायवेरमणे, २. मुसावायवेरमणे, (१) प्राणातिपात-विरमण। (२) मृषावाद-बिरमण । ३. अविण्याचाणवेरमणे, ४. मेणबेरमणे, (३) अदत्तादान विरमण । (४) मथुन-विरमण । ५. परिगहवेरमणे, ६. हरियासमिती, (५) परिग्रह-विरमण । (६) र्यासमिति । ७. भासासमिती, ८. एसणासमिती, (७) भाषासमिति। (८) एषणासमिति । ६. आषाण-भंड-मत्त-णियस्तेषणासमिती । (e) आदान भाण्ड मत्र (पात्र) निक्षेपण समिति । १०. उच्चार - पासवण • खेल-सिंघाणग-जल्ल-परिट्टापणिया (१०) उच्चार - प्रस्रवण - श्लेष्म-सिंघाण-जल्ल-परिष्ठापना समितो। -साणं. अ. १०, सु. ७११ समिति । १ ठाणं. अ.५, उ. २, सु. ४२७ । २ ठाण. अ. ६, सु. ४०७ ।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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