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सूत्र २२६
सम्परव-पराक्रम के प्रश्नोत्तर
दर्शनाचार
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इत्ता पालइत्ता तोरहत्ता किट्टइता सोहइत्ता राहता श्रद्धा कर, प्रतीति कर, कचि रखकर, जिसके विषय का स्पर्श आणाए अणुपासत्ता बहवे जोवा सिनम्ति बुज्झन्ति सुरुचन्ति कर, स्मृति में रखकर, समग्र-रूप से हस्तगत कर, गुरु को पठित परिनिभ्वायन्ति सव्ववुक्खाणमन्तं करेन्ति ।
पाठ का निवेदन कर, गुरू के समीप उन्नारण की शुद्धि कर, तस्स म अयम? एवमाहिज्जइ तं जहा
राही भर्ग काय 5-7 का और अंदी आज्ञा के अनुसार अनुपालन कर बहुत जीव सिद्ध होते हैं, बुद्ध होते हैं, मुक्त होते हैं, परिनिर्वाण (शान्त) होते हैं और सब दुःखों का अन्त करते।
हैं । सम्यक्रव-पराक्रम का अर्थ इस प्रकार कहा गया है। जैसे१. संवेगे २. निस्वेए
१. संवेग
२. निवेद ३. धम्मरक्षा ४. गुरसाहम्मियसुस्सूसणया ३. धर्म-प्रदा
४. गुरु और सामिक की शुश्रूष ५. आलोयणया ६. निन्दया
५. आलोचना
६. निन्दा ७. गरहणया ८. सामाइए
७. गर्दा
८. सामायिक १. चउवासस्थए १०. वणए
६. चतुर्वि गति-स्तव १०. वन्दन ११. परिक्कमणे १२. काउस्सग्गे
११. प्रतिक्रमण
१२. कायोत्सर्ग १३. पश्चाखाणे १४. थयथुष्मंगले
१३. प्रत्याख्यान
१४. स्तव-स्तुति-मंगल १५. कालपडिलेहणया १६. पायपिछत्तकरणे
१५. काल-प्रतिलेखन १६. प्रायश्चितकरण १७. खमावणया १०. सजाए
१७. क्षामणा
१८, स्वाध्याय १६. वायणया २०. परिपुच्छणया
१६. वाचना
२०. प्रतिप्रच्छना २१. परियट्टणया २२. अणुप्पेहा
२१. पराक्तंना . २२. अनुप्रेक्षा २३. धम्मकहा २४. सुपस्स आररहणया २३. धर्म-कथा २४. श्रुताराधना २५, एगग्गमणसंनिवेसणया २६. संजमे
२३. एकाग्र मन की स्थापना २६. संयम २७. त २८. वोदागे
२७. प
२८. व्यवदान २६. सुहसाए ३०. अपडिनद्धया
२९. सुख की स्पृहा का त्याग ३०. अप्रतिबद्धता ३१. विवित्तसपणासणेसेवणया ३९, विनियतणया
३१. विविक्त-शयनासन-सेवन ३२. विनिवर्तना ३३. संभोगपश्चखाणे ३४. जवहिपच्चक्खाणे
२३. सम्भोग-प्रत्याख्यान ३४. उपधि-प्रत्याख्यान ३५. माहारपत्रमाणे ३६. कसायपत्रमाणे
३५. आहार-प्रत्याख्यान ३६. कषाय-प्रत्यास्यान ३७. मोगपञ्चषखाणे ३८. सरीरपाचक्खाणे
३७. योग-प्रत्याख्यान ३८. शरीर-प्रत्याख्यान २६ सहायपश्चक्लाणे ४०. भतपश्वक्खागे
३६. सहाय-प्रत्याख्यान ४०. भक्त-प्रत्याख्यान ४१. सम्भावपच्चक्खाणे ४२. पडिरूवया
४१. सद्भाव-प्रत्याख्यान ४२. प्रतिरूपता ४३. यावच्चे ४४. सध्यगुणसंपण्णया
४३. वैयावृत्य
४४. सर्वगुण-सम्पन्नता ४५. बीयरागया ४६. खन्ती
४५. वीतरागता
४६. शांति ४७. मुत्ती ४८. धज्जवे
४७. मुक्ति
४८. आर्जन ४६. मध्ये ५०. भावसाचे
४६. मार्दव
५०. भाव-सत्य ५१. करणसम्चे ५२. जोगसमये
५१. करण-सत्य
५२. योग-सत्प ५३. मणगुस्सया ५४. वयगुत्तया
५३. मनो-गुप्तता ५४. वाक्नगुप्तता ५५. कायगुत्तया ५६. मणसमाधारणया
५५. काय-गुप्तता ५६. मनःसमाधारणा ५७. वयसमाधारणया ५६. कायसमाधारणया
५७, वाक्-समाधारणा ५८. काय-समाधारणा ५६. माणसंपन्नया ६.. सणसंपण्या
५६. जान-सम्पन्नता ६०. दर्शन-सम्पन्नता ६१. परित्तसंपन्नया ६२. सोइन्वियनिसगहे
६१. चारित्र-सम्पन्नता ६२. श्रोत्रेन्द्रिय-निग्रह ६३. चखिन्धियनिग्गहे ६४. पाणिन्दियनिगाहे
६३, चक्षुरिन्द्रिय-निग्रह ६४. नाणेन्द्रिय-निग्रह ६५. जिबिभन्द्रियनिग्गहे ६६. कासिन्धियनिग्गहे
६५. जिहन्द्रिय-निग्रह ६६. स्पर्णनेन्द्रिय-निग्रह