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धरणानुयोग
ज्ञानयुक्त और वेषयुक्त
सूत्र १७८-१८२
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णाणजुत्ता वेसज्जुत्ता य--
ज्ञान-युक्त और वेषयुक्त १७८. घसारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा
१७८. चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथाजुत्ते नाममेगे जुतमवे,
एक पुरुष शानादि से युक्त है और साधुवेष से भी युक्त है, जुत्ते नाममेगे अजुत्त हवे,
एक पुरुष शानादि से युक्त है किन्तु माध्रुवेष से अयुक्त है। अजुत्ते नाममेगे जुत्तरूबे,
एक पुरुष जानादि से अयुक्त है किन्तु साधुवेष से युक्त है, अजुत्ते माममेगे अजुत्तरुवे ।
एक पुरुष ज्ञानादि से भी अयुक्त है और साधुषेष से भी -ठाण. अ. ४, र. ३, सु. ३१६ अयुक्त है। णाणजुसा सिरिजुत्ता, अजुत्ता -
ज्ञानयुक्त और शोभायुक्त; अयुक्त१७६. चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, तं महा
१७६. चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथामुत्ते माममेगे जुत्तसोमे,
एक पुरुष ज्ञानादि से युक्त है और उसकी उचित शोभा
भी है। कुत्ते नाममे अजुत्तसोभे,
___ एक पुरुष ज्ञानादि से युक्त है किन्तु उसकी उचित शोभा
नहीं है। अजुत्ते नाममेगे जुत्तसोभे,
एक पुरुष ज्ञानादि से अयुक्त है किन्तु उसको उचित
शोभा है। अजुत्ते माममेगे अजुत्तसोभे ।
एक पुरष ज्ञान से भी अयुक्त है और उसकी उचित शोभा -ठाणं. भ. ४, उ. ३, सु. ३१६ भी नहीं है। पंचविहा परिणा
पाँच प्रकार की परिज्ञा-- १५०. पंचविहा परिष्णा पण्णत्ता, तं जहा
१५०. परिज्ञा पाच प्रकार की कही गई है, जैसे१. उवहिपरिणा,
(१) उपधि परिजा, २. उबस्सयपरिणा,
(२) उपाश्रय परिक्षा, ३. कसायपरिषणा,
(३) कयाय परिज्ञा, ४. जोगपरिष्णा,
(४) योग परिज्ञा, ५. मत्तपाषपरिणा। -ठाणं. अ. ५, उ. २, सु. ४२० (५) भक्तपान परिशा। सरीरसंपन्ना पण्णासंपन्ना य---
शरीरसम्पन्न और प्रज्ञ सम्पन्न१८१. चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा
१८१. चार प्रकार के पुरुष कहे हैं, यथाउन्नए नाममेगे उन्मए पन्ने,
एक पुगर शरीर से उषत है और प्रज्ञा से भी उन्नत है, उनए नाममेगे पणए पन्ने,
एक पुरुष शरीर से उन्नत है किन्तु प्रज्ञा से उन्नत नहीं है, पत्रए नाममेगे उन्नए पन्ने,
एक पुरुष शरीर से उभत नहीं है किन्तु प्रशा से उन्नत है, पन्नए नाममेरे पणए पन्ने ।
एक पुरुष शरीर से भी उन्नत नहीं है और प्रज्ञा से भी उन्नत --ठाण. अ. ४, उ. १, सु. २३६ नहीं है । उज्जू उज्जपण्णा, जुत्ता वंका कपण्णाजुत्ता
ऋजु-ऋजुप्रज्ञ और वन-वक्रप्रज्ञ१८२. अत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, सं जहा
१८२. चार प्रकार के पुरुष कहे है, यथाउम्जू नाममेगे उज्जूपन्ने,
एक पुरुष ऋजु है और ऋजुप्रज्ञ है, उज्जू नाममेगे वंकपन्ने,
एक पुरुष ऋजु है किन्तु यऋषज्ञ है, बंक माममेगे उज्ज़पन्ने,
एक पुरूष वत्र है किन्तु ऋजुप्रज्ञ है, के नाममेयेबंपन्ने ।--ठाणं. अ. ४, उ.१, सु. २३६।। एक पुरुष वक्र है और प्रश है।