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________________ सूत्र ११२ विनय के मेव-प्रमेव शानाचार [७९ १. अमाउत्तं गमणे, २. अणाउसं ठाणे, ३. अणाउत्तं निसीयणे, ४. अणाजतं तुयट्टणे, ५. अथाउत्त उल्लंघर्ष, ६. अणाउत्तं पलंधणे, ७. अणाउत्तं सव्यिक्यिकायजोगजुंजणया, से तं अपसत्यकाविणए। प०-से कि तं पसत्थकायविणए ? उ.--पसत्यकापविणए सत्तविहे पण्णत्ते । तं महा १. भाउत्तं गमगे, २. आउत्तं ठाणे, १. अनायुक्त गमन--उपयोग-जागरूकता या सावधानी बिना चलना। २. अनायुक्त स्थान-बिना उपयोग स्थित होना-ठहरना, खड़ा होना। ३. अनायुक्त निषीदन-बिना उपयोग बैठना। ४. अनायुक्त त्वग्वर्तन -बिना उपयोग बिछोने पर करवट बदलना, सोना। ५. अनायुक्त उल्लंघन-बिना उपयोग कर्दम आदि का अतिक्रमण करना--कीचड़ आदि लांघना। ६. अनायुक्त प्रलंघन-बिना उपयोग बारबार लांघना । ७. अनायुक्त सर्वेन्द्रियकाययोग-योजनता-बिना उपयोग सभी इन्द्रियों तथा शरीर को योगयुक्त करना- विविध प्रवृत्तियों में लगाना । यह अप्रशस्त काय विनय है। प्र.-प्रशस्त काय-विनय क्या है? उ०-प्रशस्त काव-विनय के सात भेद हैं, जो इस प्रकार हैं-.. १. उपयुक्त गमन-उपयोग जागरूकता या सावधानी से चलना। २. उपयुक्त स्थान-उपयोग से स्थित होना-ठहरना, सहा होना। ३. उपयुक्त निषीदन-उपयोग से बैठना। ४. उपयुक्त स्वरवर्तन--उपयोग से बिछोने पर करवट बदलना, सोना। ___५. उपयुक्त उल्लंघन-- उपयोग से कदम आदि का अतिक्रमण करना, कीचड़ आदि लांघना । ६. उपयुक्त प्रलंघन- उपयोग से बार-बार लांघना । ७. उपयुक्त सन्द्रियकाययोग-योजनता-उपयोग से सभी इन्द्रियों तथा शरीर को योगयुक्त करना-विविध प्रवृत्तियों में लगाना । यह प्रशस्त कायविनय है। यह कायविनय है। प्र०-लोकोपचार-विनय क्या है? उ०-लोकोपचार-विनय के सात भेद बतलाये गये हैं, जो इस प्रकार हैं १. अभ्यासतिता-गुरुजनों, बड़ों, सत्पुरुषों के समीप बैठना। २. परच्छन्दानुवर्तिता--गुरुजनों, पूज्य जनों की इच्छानुरूप प्रवृत्ति करना। ३. आजतं निसीवणे, ४. आउत्तं सुयट्टणे, ५. उत्तं उसंधणे, ६. पाउस पलंघणे, ७. आजसं समितियकायजोगजुजणया, से तं पसत्यकाविणए, से तं काय विणए। १०-से कितं लोगोबयारविणए ? उ-लोगोवयारविणए सत्तविहे पण्णते, तं जहा १. अभासवत्तियं, २. परन्छवाणुवतियं,
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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