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कल्पाष्टलक्षकोटये कभागे वर्ते क्रमे ततः। प्रियंगुकांतिमत्कायो जज्ञे मनुः प्रसेनजित् ॥
..स्तस्यामितगतिः पिता । वर कन्यकया साई विवाहो विधिना व्यधात् ॥ कुलवृद्धिकरावात्रोत्पन्नः स युगलं विना । तदा प्रभृतिः युग्मानामुत्पन्नो नियमः गतः॥
इससे सिद्ध होता है कि तेरहवें कुलकरके समयमें ही पुत्री पुत्र अलग-अलग होने लगे थे और इन्द्रने। उनका विवाह किया था उस समय कुलकरोंके सिवाय सबका नाम आर्य था। इसीलिये मरुदेवीके पिताका, नाम नहीं लिखा है।
___ ५५-चर्चा पचपनवीं प्रश्न-युगके प्रारम्भमें अर्थात् कर्मभूमि वा चतुर्थकालक प्रारंभी अयोध्याकी रचना किसने की थी ?
समाधान-श्री ऋषभदेवके गर्भमें आनेके पहले अयोध्या नगरीको रचना इन्द्रने की थी तथा औरऔर जगहके रहनेवाले पुरुषों को बुला-धुलाकर वहाँ बसाया था। सो हो महापुराणमे लिखा है।
इतस्ततश्च विक्षिप्तान आनीयानीय मानवान् ।
पुरी निवेषयामासुर्विन्या विविधैः सुराः ॥७३ ॥ इससे सिद्ध होता है अयोध्यापुरीको रचना युगको आदिमें इन्नने की है ।
५६-चर्चा छप्पनवीं प्रश्न-भरत चक्रवर्तीको विभूतिमें तीन करोड़ गायें बतलाई हैं सो किस प्रकार है ?
समाधान-भरत आदि समस्त चक्रवतियोंकी विभूतिमें तीन करोड़ गायोंके रहनेका स्थान बतलाये। है। इससे मालूम होता है कि गायें तो तीन करोड़से भी अधिक हैं । सो हो आविपुराणके सेतीसवे पर्वमें लिखा है। तिलोस्य ब्रजकोव्यः स्युः गोकुलैःशश्वदाकुलाः। यत्र मंथरवाकृष्टास्तिष्ठतिस्माचगाःक्षणम्॥
इससे सिद्ध होता है-पायोंके निवासस्थान तीन करोड़ थे ।
कमलामन्चरस्मरन्त