________________ चासागर ME-RAJAPANES तिस दिन शुभ वेला पूर्ण कोन, वर्धा सिधू बह कथन पीन / नंको वृद्धो जयवंत होऊ, यावत रवि शशि छिति' वादि लोउ // 13 // छप्पय मंगल श्री अरहंत सिद्ध मम करो सुमंगल / मंगल करो सुसाधु उक्त केवलि दुषमंगल // मंगल यह चत्वारि और न विनायक मंगल / मंगलमें वरदाय श्रेष्ठ मंगलमें मंगल / / यह ही चउ लोगोत्तमा यह चउ शरण सुमानिये / अरहंत सिद्ध फुनि साधु वृष श्रीजिनकथित सु जानिये // 14 // सोरठा विघ्नव्यूह विलाय शाकिनी भूत सुसर्प सब / विष अमृत है जाय श्रीजिन तेरे स्मरणते // 15 // दोहा रामनारा चंद्रप्रभु चंद्राम तनु, पा-वप्रभु छवि नील। ला-भ करत श्रीशिवतनौ ल-गि ध्यावें तजि ढील / / 16 // चउ पदके धुर वर्ण चउ क्रमकरि पंक्ति अनूप / चर्चासागर ग्रंथको कर्ता नाम स्वरूप // 17 // इस प्रकार पंडित-प्रवर चंपालाल कृत वर्षासागर ग्रन्थ समाप्त हुमा / नम्माना 1. जबतक छिति अर्थात् आकाशमें सूर्य है और वाति अर्थात् समग्रमें चंद्रमा है 11 पहले अक्षर / सोलहवें दोहेके चारों पर्वोके - - - - - - - -