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________________ चर्चासागर F कहा कि हे नेमिनाथ ! तुम्हीं साक्षात शिव हो, अन्य कोई शिव नहीं है । इसी प्रकार कानपुर में जलागि एक वाहमें शियके वचन लिखे हैं-- कलिकालमहाधोरसर्वकल्मषनाशनम् । दर्शनात्स्पर्शनादेवी कोटियज्ञफलप्रदः ॥ ऊर्जयंतगिरी रम्ये माघकृष्णा चतुर्दशी । तस्यां जागरणं कृत्वा स जातौ निमलो हरिः॥ अर्थ-पार्वतीसे महादेव कह रहे हैं कि हे देवि ! अत्यंत मनोहर ऐसे गिरनार पर्वतपर श्रीनेमिनाथजी विराजे हैं। उनके दर्शनसे तथा उस पर्वतके स्पर्श करनेसे फलिकालके महा घोर पाप नष्ट हो जाते हैं तथा । करोड़ों यज्ञोंका फल होता है। जो कोई पुरुष माघकृष्णा चतुर्दशीको रात्रिको वहां जाकर जागरण करता है वह निर्मल विष्णपदको प्राप्त होता है। इस प्रकार श्रीनेमिनाथके वर्शन करनेका तथा गिरनारके वर्शन करनेका और वहाँ जाकर जागरण करनेका फल बतलाया है इसलिये शैव लोगोंको विचार करना चाहिये कि दोनों में कौन उत्तम है। भर्तृहरिकाव्यमें सरागियोंमें मुख्य शिवको बतलाया है और योतरागियोंमें मुख्य श्रीजिनेन्द्रदेवको बतलाया है । यथा एको रागिष राजते प्रियतमा देहार्द्धधारी हरो, नीरागेषु जिनो विमुक्तललनासंगो न यस्मात्परः ॥ दुर्वारस्मरवाणपन्नगविषव्यासक्तमुग्धो जनः। शेषःकामविडंबितो हि विषयान् भोक्तुन भोक्तु क्षमः॥ रागियोंमें सबसे मुख्य महादेव है जिसने अपनी प्रियतमाको आधे शरीरमें धारण कर रक्खा है तथा वीतरागियोंमें जिनेन्द्र भगवान हैं कि जिनसे बढ़कर स्त्री और परिग्रहका त्यागो और कोई नहीं है। कामके द्वारा विंडबना किये हुये बाकीके मूर्ख लोग जबर्दस्त कामके वाणरूपो सर्प के विषसे मूछित हो रहे हैं जो न तो विषयोंको छोड़ सकते हैं और न भोग सकते हैं। इससे भगवान जिनेन्द्रदेवको उत्तमता ही सिद्ध होती है। दक्षिणमूति सहस्रनाममें शियके वचन लिखे हैं--- जिनमार्गरतो जैनो जितक्रोधो जितामयः ।
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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