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________________ वर्षासागर Its 1 कराराम इसप्रकार प्रातिहार्य आठ ही होते हैं। यदि सिंहासन के ऊपर एक कमल और मान लिया जायगा तो नौ प्रातिहार्य मानने पड़ेंगे सो है नहीं इसलिये भगवान सिहानपर ही विराजमान हैं, कमल पर नहीं । २३३ - चर्चा दोसौ तेतीसवीं प्रश्न -- एक दिनके दीक्षित मुनिराजको भी सौ वर्षकी दीक्षित आर्जिका नमस्कार करे या नहीं ? समाधान --- एक दिनके दीक्षित मुनिराजका सौ वर्षकी दीक्षित अजिंका अथवा अजिकाओंको गुराणी गणिनी अजिफा भी नमस्कार करती है इसका कारण यह है कि एक विनके दीक्षित मुनिराज महाव्रती हैं और अजिका महाव्रती नहीं हैं उसके उपचारसे महाव्रत है, साक्षात् नहीं है। इसलिये तुरंत वीक्षित मुनिको अधिक दिनोंकी दीक्षित आर्जिका भी आकर नमस्कार करती है। सो हो नीतिसारमें लिखा हैमहत्तराप्यर्यिकाभिवंदते भक्तिभाविता । अद्यदीक्षितमप्याशुवतिनं शान्तमानसम् ॥ १॥ २३४ - चर्चा दोसौ चौतीसवीं प्रश्न- गृहस्य वा मिथ्यादृष्टी वा स्पृश्य शूत्र वा अस्पृश्य शूद्र जो मुनिराजको वंदना करते हैं सो मुमिराज सबको एकसो घर्मवृद्धि देते हैं अथवा और भी कुछ कहते हैं। समाधान -- यदि सम्यग्दृष्टो व्रती गृहस्य मुनिराजको नमस्कार करें तो मुनिराज उनको धर्मवृद्धि कहते हैं। यदि उच्च वर्णका मिध्यावृष्टि नमस्कार करता है तो उससे 'धर्मबुद्धि हो' ऐसा कहते हैं। यदि भील बा म्लेच्छ आदि शूद्रादिक नमस्कार करते हैं तो उनको 'धर्मलाभ' कहकर संतुष्ट करते हैं । अथवा 'सम्यग्वर्शनकी शुद्धि हो' ऐसा कहते हैं । यदि चांडाल आदि अस्पृश्य शूद्र नमस्कार करते हैं तो उनके लिये 'पापक्षयोस्तु' 'तेरे पापक्षय हों' ऐसा कहते हैं । इसप्रकार मुनिराज वंदनाके बदले कहते हैं सो ही नीतिसार में लिखा हैधर्मरसिक शास्त्र में भी लिखा है- धर्मवृद्धिगृहस्थस्य व्रतिनः शुद्धचेतसः । मिथ्यादृष्टेः सुवर्णस्य धर्मबुद्धिरुदाहृता ॥ १. पांडुक शिलापर जो सिंहासन है उसपर भी कमल नहीं है। अकृत्रिम चैत्यालयों में भी भगवान सिहासन पर विराजमान हैं कमक पर नहीं । ALMOS य [ ५१५
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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