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________________ बिलों में ये जीव अपने पापकर्मके उदयसे उत्पन्न होते हैं। पहले उन बिलोंके ऊपर बने हुए घण्टाकार घृणित ऐसे ही र उपपाद स्थानोंमें उत्पन्न होते हैं और फिर वहाँसे नीचे नरकमें पड़ते हैं । सो किसी समय वे बिल खाली रहते है पसिागर हैं या नहीं अथवा उनमें जीव सदा ही बिना किसी अन्तरके उत्पन्न होते रहते है। इसका स्वरूप क्या है। समाधान-ये बिल कभी खाली तो रहते नहीं हो, जब कभी उसमेंके नारकोकी आयु पूरी हो। जाती है तो नियत अन्तरालके बाद दूसरा नारकी अवश्य उत्पन्न हो जाता है। उन नरकोंमें एक नारको मरनेके बाद दूसरे नारकोके उत्पन्न होने तक जो अन्तराल रहता है वह नीचे लिखे कोष्ठसे स्पष्ट हो जाता है। नरको नाम बिलोंका प्रमाण उत्कृष्ट अन्तराल रत्नप्रभा। तीसलाख ३०००००० चौवोस महत शर्कराप्रभा पच्चीस लाख २५००००० सात दिन बालुकाप्रभा पन्द्रहलाख १५००००० पन्द्रह दिन पंकप्रभा वसलाख एक महीना घूमप्रभा तीनलाख ३००००० दो महोना तमःप्रभा पाँच कम एकलाख ९९९९५ चार महीना महातमःप्रभा छ: महीना इस नियत अन्तरालके बाद कोई जीव अवश्य होता है । सो हो सिद्धांतसारदीपकमें लिखा हैप्रथमे नरके ज्येष्ठमुत्पत्ती मरणांतरम् । चतुर्विशतिसंख्यानां मुहूर्ता द्वितीयेङ्गिनाम् ॥११॥ दिनानि सप्त वै श्वभ्रे तृतीये पक्षसंख्यकम्। चतुर्थे चैकमासो हि पंचमे मासयुग्मकम्॥१५ षष्ठे मासचतुष्कं च सप्तमे नरकात्मनाम् । षण्मासा अन्तरं निःसरणप्रवेशयोमहत् ॥१६॥ २१७-चर्चा दोसौ सत्रहवीं प्रश्न-स्वर्गलोकमें जो जीव उत्पन्न होते हैं उनमें भी इसी प्रकार अन्तराल है अथवा उनमें अन्तराल है ही नहीं ? समाषान-घेवोंके उत्पन्न होने में जो अन्तराल होता है वह कमसे इस प्रकार है। सौधर्म, ऐशान इन।
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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