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________________ Pाण गहे गये हैं। निमामि शानिमाणीके कुलसे उत्पन्न हुये हैं वे भी तपसे ही ब्राह्मण हुए हैं। मांडव्य ऋषि । मेंडकोसे जन्मे हैं वे भी तपसे हो ब्राह्मण हये हैं। विदुर नामके ऋषि वासीसे उत्पन्न हुये हैं तथापि वे तपसे है पर्यासागर ब्राह्मण हुये हैं। मत्स्यगंधा चोवरीसे वेदव्यासका जन्म है सो भी तपसे हो ब्राह्मण हुये हैं। इससे सिद्ध होता [ ३९७) है कि ब्राह्मण जातिको ऊँचता केवल जातिसे ही नहीं होतो किंतु ब्राह्मणकी पूज्यता तपसे हो होती है । सो है ही महाभारतमें लिखा है-- भिल्लिगर्भसमुत्पन्नो वाल्मीकस्तु महामुनिः। तपसा ब्राह्मणो जातःतस्माज्जाति नै कारणम् । । उर्वशीगर्भसंभूतो वशिष्ठोपि महामुनिः । तपसा ब्रह्मणो जातः तस्माज्जातिर्न कारणम् ।। चाडांलीगर्भसंभूतः पाराशर महामुनिः । तपसा ब्राह्मणो जातः तस्माज्जाति ने कारणम् ।। गर्दभीगर्भसंभूतो गाग्यों नाम महामुनिः। तपसा ब्राह्मणो जातः तस्माज्जातिर्न कारणम् ॥ । हरिणीगर्भसंभूतः ऋषिश्रृंगो महामुनिः । सपसा ब्राह्मणो जाता तस्मज्जाति ने कारणम्॥ क्षत्रियाणां कुले जातो विश्वामित्रो महामुनिः। तपसा ब्राह्मणो जातः तस्माज्जातिर्न कारणम्।। । मंडुकीगर्भसंभूतो माडव्योयं महामुनिः । तपसा ब्राह्मणो जातः तस्माज्जातिनं कारणम् ॥ दासीगर्भसमुत्पन्नो विदुरो यो महामुनिः। तपसा ब्राह्मणो जातः तस्माज्जातिर्न कारणम् ॥ इस प्रकार ऋषियोंको उत्पत्ति जातिहीन है परंतु इन्होंने तपरूपी गुणसे ब्राह्मण पद प्राप्त किया है। इसलिये जातिमात्रका अहंकार करना व्यर्थ है । गुण हो पूज्य होते हैं । कदाचित् कोई यह कहे कि हमारे श्रीकृष्णने कहा है ब्राह्मण चाहे विद्याहीन हो या विद्या सहित हो दोनों हो मेरे शरीररूप हैं, मेरे ही शरीर हैं। गुणवान् वा निर्गुण दोनों ही मेरे देह हैं। सो हो भगवद्गीतामें है लिखा हैअविद्यो वा सविद्यो वा ब्राह्मणो मामकी तनुः। [३५ इससे सिद्ध होता है कि ब्राह्मण सब भगवानका शरीर हैं । परंतु इसका उत्तर यह है कि शरीरके वो । भेव हैं एक उसमांग और दूसरा अधमरंग । उन दोनों से गुणवान ब्राह्मण तो भगवानके मुखभागके उत्तमांगके । BREAKERata
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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