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________________ । उपवास है। यदि मनि __ आगे ब्रह्मचर्यके दोषोंका प्रायश्चित्त बतलाते हैं । यदि मुनि नियमरहित और देवचंदनासहित रात्रिमें न निद्रा लें और स्वप्नमें वीर्यपात हो जाय तो उसका प्रायश्चित प्रतिक्रमण पर्वक दो उपवास है सागनियम सहित देव वंदना पूर्वक रात्रिमें निता लें और स्वप्नमें वीर्यपात हो जाय सो प्रतिक्रमण पूर्वक एक [३४७ ] उपवास प्रायश्चित्त है । यदि पिछली रातमें सामायिक कालके पहले निद्रामें वीर्यपात हो जाय तो प्रतिक्रमण पूर्वक एक उपवास प्रायश्चित्त है। यदि शामकी सामायिक करनेके बाद नियम सहित सोनेवाले साधुके नीदमें वीर्यपात हो जाय तो प्रतिक्रमण पूर्वक एक प्रायश्चित्त है। एक सामायिक कर नियमसहित देव । वंदना पूर्वक सोते हुये वीर्यपात हो जाय तो प्रतिक्रमण पूर्वक तीन उपवास प्रायश्चित्त है। यदि कोई मुनि | आसक्त होकर स्त्रीके साथ वचनालाप करें तो प्रतिक्रमण पूर्वक एक उपवास करना चाहिये । यदि स्त्रीका स्पर्श हो जाय तो प्रतिक्रमणपूर्वक एक उपवास करना चाहिये। यदि किसी मुनिने अपने मनमें स्त्रीका चितवन किया हो तो प्रतिक्रमण पूर्वक एक उपवास करना चाहिये । सो ही लिखा है-- पाथो सणियमरहिदे बंदण सहियं णमज्झएसुतस्सेर। दणिर वरणे उवधा वण दणिखवण्णाणी।। मणियमे जुत्तस्स पुणो सेसरिहं सछेद पुवं वासण्णा परहियसुत्तो पावदीउ च वासेण त्तसेण॥ । सो हि लहह रेदणिक्खरणे............... सज्झाय णियम स हियं वंदण रहियं सरेदणिक्खरणे। उवट्ठावण उववासो चेरकं यणं वासणियमस्सछ । सज्झायणिम वंदण तिणि विकाउण जो सुबई। साडरेदेदे गिरकरणं हिय उवट्ठा वण छट्ठ दिवसेय ॥ अभंग घासत्तो इस्थिहिय मोहिपदाध इछत्तो। काउसग्गुववासो उवणा बट्ठदप्पं हि॥(?) यदि कोई तिर्यच, देव वा मनुष्य किसी मुनिपर उपसर्ग करें और उस उपसर्गमें प्रमावसे मुनिका ब्रह्मचर्य भंग हो जाय उससे मैथुन कर ले तो उसका प्रायश्चित्त प्रतिक्रमण पूर्वक पंचकल्याणक है। यदि मुनि कामविकारसे मन, वचन, कायसे स्त्रीसे फिर भी मैथुन करें तो उनका महाव्रत भंग हो जाता है। वे फिर । दुबारा दीक्षा लेनेपर शुद्ध हो सकते हैं । सो हो लिखा है ENTERTAINMIRATEERTAIN-AyearSpeese-STREACTERNET
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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