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________________ चर्चासागर २४९ ] मिलनाथको पूजामें लिखा है- कुंकुमपरेण चंदनेन विलेपये। विमल जिनपादाब्जं संसारातापहानये ॥ अर्थात् संसारतापको नाश करनेके लिए विमलनायके चरण-कमलोंको कपूर, कुंकुम, चंदन आदिसे विलेपन करता हूँ । श्री अमरनाथ की पूजा में लिखा है सचन्द्रकर्पूरकुकुमैच विलेपयेऽनन्तपदाब्ज युग्मम् । जे त्रिकालं वरभावतोऽहं अनंतसोख्याय अनन्तनाथम् ॥ अर्थात् अनन्त सुख प्राप्त करनेके लिये अनन्तनाथके चरण-कमलोंको केशर, कपूर, कुंकुमते विलेपन करता हूँ । श्री शान्तिनाथ की पूजामें लिखा है- काश्मीरचंदनसुचंद्रयुतैः सुगन्धैः पादारविंदद्वयले पविलेपनैश्च । शोकारिरोगभवदुःखविनाशनाय श्रीशांतिनाथजिनपं प्रयजे सुखाय ॥ अर्थात् शोक, रोग आदि संसारके दुःख दूर करनेके लिए केशर, चंदन, कपूर आदि सुगन्धित व्रक्योंसे दोनों चरण-कमलोंको विलेपनकर श्रीशांतिनाथको पूजा करता हूँ । श्रीअरनाथको पूजामें लिखा है- मलयारण्यसंभूतैर्गंधचन्दनलेपनैः । दुष्टाष्टकर्मशांत्यर्थं अरनाथमहं यजे || अर्थात् आठ कर्मोंको शान्त करनेके लिए मलयागिरके चंदन से लेपनकर अरनाथकी पूजा करता हूँ । श्री अरिष्टनेमिनाथको पूजामें लिखा है- सुकुकुमैश्चन्दनचन्द्र मिश्रैर्विलेपनैर्ने मिक्रमाब्जयुग्मम् । कृष्णप्रभं नेमिजिनं यजेहं सुकुबुकांकं शिवदेत्रिसूनुम् ॥ अर्थात् शंख धिसहित, शिवदेवोके पुत्र, कृष्ण प्रभाको धारण करनेवाले श्रीनेमिनाथके चरण-कमलोंको कपूर, चंदन, कुंकुम आविसे लेपन कर पूजा करता हूँ । ३२ [ २
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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