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वर्षासागर [?]
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नोट-प्रासादन प्रातः पाठ करने स
लाव
आ
नमः सिद्धेभ्यः
स्वर्गीय पंडित चंपालालजी विरचित
चर्चासागर
हा
मंगलाचरण
चौपाई
१ ॥
श्रीजिनवासुपूज्य शिवदाय | श्रीचम्पा कल्यान लद्दाय । विघ्नविदारन मंगलदाय । लो बंदी शरणाय सहाय ॥ बहूँ श्रीवृषभेष जिनेश । वर्द्धमान लगे पाय हमेश । श्रीमंधरादि जिन बीस । विनऊँ क्षिति घर कर पुनि शीस ॥ २ ॥ तीस चोइसी पद शिरनाय । नमूँ केवली शिवसुखदाय । सिवालयवासी श्रीसिद्ध । नमो॑ नमो॑ मुझ यो निज ऋद्ध ॥ ३ ॥ आचारज युत 'पंचाचार । पाठक सकल साधु गुणकार । ताके पदपंकज शिरनाथ | नमू शारदा शिव सुखदाय ॥ ४ ॥
१. प्रन्थकर्ताने अपना नाम 'चंपा' अर्थात् चंपालाल दिया है। तथा दूसरा अर्थ -- चपापुरमें श्रीवासुपूज्य स्वामी के पांचों, कल्याणक हुए हैं । २. तक |
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