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ॐ ह्रीं अहं नमोहत्परमेष्ठिभ्यः श्रीमुखालोकनेन मम सर्वशान्तिर्भवतु स्वाहा ।
यह मन्त्र पढ़कर भगवानके मुखको देखना चाहिये फिर "ॐ ह्रीं अहं निःसहो यागो: प्रविशामि स्वाहा" यह मन्त्र पढ़कर पूजाको भूमिपर्यन्त प्रवेश करना चाहिये फिर "ॐ ह्रीं श्रीं क्षों भू स्वाहा" यह व सागर । मंत्र पर भगवाको आदेपुमांगशिप जगल चाहिये। फिर “ॐ ह्रीं वाघमुद्घोषयामि स्वाहा" यह १७० ] मंत्र पढ़कर घंटा आवि बजाना चाहिये । फिर अष्टांग वा पंचांग वा पश्वर्वशायी नमस्कार करना चाहिये। फिर उठकर भाव और भक्सिसे 'दर्शनं देवदेवस्य' आदि दर्शन पाठ पढ़कर भगवानको स्तुति करनी चाहिये, फिर
दर्शनं देवदेवस्य दर्शनं पापनाशनम् । दर्शनं स्वर्गसोपानं दर्शनं मोक्षसाधनम् । देवाधिदेव श्री अरहन्तदेवका हो दर्शन करना चाहिये। यही दर्शन पापका नाश करतवाला, स्वर्गकी सीढ़ी और मोक्षका कारण है।
दर्शनेन जिनेंद्राणां साधूनां वन्दनेन च । न च संतिष्ठते पापं छिद्रहस्ते पयोदकम् । श्रीजिनेंद्र देवके दर्शन करनेसे तपा गुरुओंकी वंदना करनेसे संपूर्ण पाप क्षय हो जाते हैं जैसे सछिद्र हाथोंसे जल नष्ट हो जाता है।
वीतरागभुखं दृष्ट्वा पपरागसमप्रभम् । जन्मजन्मकृतं पापं दर्शनन विनश्यति । पदमराग मणिके समान वीतरागका मुख देखनेसे अर्थात् श्रीवीतरागके दर्शन करनेसे जन्म-जन्मके किये गए पाप सब नष्ट हो जाते हैं।
दर्शनं जिनसूर्यस्य संसारध्वान्तनाशनम् । बोधनं चित्तपपस्य समस्तार्थप्रकाशनम् । श्रीजिनेन्द्ररूपो सूर्यका दर्शन करना संसाररूपी अन्धकारको नाश करनेवाला, मनख्यो कमलको प्रफुल्लित करनेवाला, और संपूर्ण पदार्योको प्रकाशित करनेवाला है।
दर्शनं जिनचन्द्रस्य सजर्भामृतवर्षणम् । जन्मदाहविनाशाय वर्द्धनं सुखवारिधेः ॥ ५॥ श्रीजिनेन्द्ररूपो चंद्रमाके दर्शन करना जन्मरूपी दाहके नष्ट करनेके लिये सद्धर्मरूपो अमृतको वर्षाके समान है तथा सुखरूपी समुद्रको बढ़ानेवाला है।
जीवादितरवप्रतिपादकाय, सम्यक्त्वमुख्याष्टगुणाययाय । प्रशान्तरूपाय दिगम्बराय देवाधिदेवाय नमो जिनाय ।
जीव, अजीव आदि तत्त्वोंको प्रतिपादन करनेवाले, सम्यक्त्व, ज्ञान, दर्शन आदि आठ गुणोंको धारण करनेवाले परमशांत दिगम्बर देवाधिदेव श्रीजिनेन्द्रदेवके लिये मैं नमस्कार करता है।
चिदानन्देकरूपाय जिनाय परमात्मने। परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिखात्मने नमः। अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन और अनन्त सुखरूप परमात्मतत्त्वको प्रकाशित करनेवाले रोजिनेन्द्र परमात्मा सिक्षपरमेष्ठोके [ लिये में नित्य ही नमस्कार करता हूँ।
PRITERASHAMASTMAITRAPHERMEN
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