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चर्चा संख्या
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शक्तिके लिये जीव मरनेका समाधान दूध, दही आदि मांस समान नहीं है अपने आप मरे हुए जोव खाने में पाप नहीं इसका समाधान
पृष्ठ संख्
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मांस खानेमें पाप है मारकर
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२०८ कोई कोई कहते हैं कि ज्ञान दर्शन दोनों एक हैं भिन्नभिन्न नहीं है इसलिए केवली भगवानके अनन्तचतुष्टय नहीं बन सकते ।
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यदि केवली भगवान त्रिकालवर्ती पदार्थों को देखते जानते हैं और फिर भी नरकादिके जोवोंका उद्धार नहीं करते, उनका दुख दूर करनेके लिए अवतार नहीं लेते तो कहना चाहिए कि वे बड़े निर्दयी हैं उन्हें हमारे ईश्वरके समान अवतार धारणकर सबकी रक्षा करनी चाहिये ४४४ २०५ कोई कहते हैं कि तुम्हारे निच गुरु प्रत्यक्ष रागी द्वेषो हैं
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जो नवधा भक्ति करता है उसके यहाँ बाहार लेते हैं जो 'नमोस्तु' नहीं करता उसके घर आहार नहीं लेते हैं यह उनका अभिमान या रागद्वेष है इसका समाधान २१० मुनिराज अपने पास सदा पोछी रखते हैं उसके वियोग में वे प्रायश्चित लेते हैं सो पोछी में ऐसा क्या गुण है २११ सिद्धक्षेत्रमें सबसे पहले कैलाश बतलाया है जहाँसे ऋषभदेव मोक्ष गये हैं तथा उसपर भरत चक्रवतीने बहत्तर चैत्यालय बनाये हैं तथा अन्यमती भी कैलाशको मानते हैं सो यह कहाँ है.
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२१२ शास्त्रों में पुरुषोंका उत्कृष्ट आहार बत्तीस ग्रास तक बतलाया है इसी प्रकार स्त्रियोंके बाहारका प्रमाण क्या है
एक प्रासका प्रमाण क्या है
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चर्चा संपा
चर्चा
पृष्ठ संख्या २१३ कोई कोई कहते हैं कि विदेहोष में तीर्थंकरोंके पंचकल्याणकोंका नियम नहीं है ज्ञानकल्याणक और मोक्षकल्याणक दो ही कल्याणफोंसे तीर्थंकर कहलाते हैं सो क्या ठोक है
पांडुक शिलाएं किस रंग को हैं
किसी तोर्थकरके मोक्ष जानेके बाद किसी मुनिके सोलह कारण भावनाएँ पूर्वक केवलज्ञान हो जाता है और वह तीर्थंकर कहलाता है उसका नाम पहिले तोर्थर रख लिया जाता है इस प्रकार तोर्थङ्कर परंपरा बराबर बनी रहती है इसका समाधान
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२१४ भगवान सीकर के जन्माभिषेकके समय इन्द्रकी सवारीके आगे थे साथ प्रफारी सेवा मुधानुवाद करती चलती है वह किसके गुण गाती है
दे देव किस-किस स्वरसे गुणानुवाद करते हैं
२१५ सातों हो नरकोंमें कोई महापापी जीव अलग-अलग नरकों में उत्कृष्टता कर कितनी-कितनी बार जन्म धारण करता है ।
नरकसे निकलकर किन-किन गतियोंमें जन्म लेता है २१६ सातों नरकोंमें चौरासीलाल बिले कभी खाली रहते हैं या नहीं या उनमें नारकी सदा उत्पन्न होते रहते हैं २१७ स्वर्ग में देवोंके उत्पन्न होने में कितना अन्तर रहता है २१८ नरक और स्वगमें कौन-कौनसे सालकी प्रवृत्ति रहतो है ४५५ २१९ स्वर्गके विमान आकाशमें किसके आधार पर स्थिर हैं ४५६ यह लोक किसके आधार पर है ४५६
२२० पंचमकालके अन्त में जो एक मुनि, एक अर्जिका, एक श्रावक, एक श्राविका रहेगी तो उनका क्या नाम होगा ४५७
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