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________________ पाँबीस स्थान दर्शन कोष्टक नं. ७ अप्रमत्त गुण स्थान १ मंग का भंग को न १८ के मुबिन का अंग । -- - - -- य! कपाय भानना १२ भान कोन. देदा १८ संयम मामायिक, छदोय म्यापना, परिहारवि शुद्धि १। दर्शन को न दचा । का भग का नं.के मुखिर ३ का भग मंग 1-५-६ के भंग में से कोई ज्ञान जानना गंयम के मंग में से कोई १ संयम जानना १दर्शन के भंग में से कोई १दर्शन जानना १लश्या के भंग में से कोई १ लेश्या जानमा १ मंग ३ का भग १ का भंग को में १८ के मुजिन । नीन शुभ लेण्या । ३ का मंस की नं.१ के मुजिव ३ का भंग १ मव्यत्व १६मव्यत्व १७ सम्यस्च को नं.४ देखो । का भंग की नं०१८ के मुजिय १ भंग का भग सम्यक्त्य ३ के मंग में से कोई । १ सम्यक्त्व जानना १८ बंशी १६ माहारव २० उपयोग मंजी १ प्राहारक की नं.६ देखा का भंग को नं.१% के मुजिब का भग २१ ध्यान पार धर्म व्यान का मंग का न.१८ के मुजिब का भग १ उपयोग के भंग में मे कोई १उपयोग जानना १ ध्यान र के भंग में से कोई १ ध्यान जानना १भंग ५-६-७ के भगों में से कोई १ मंग जानना को नं०१८ देखो २२का भन की नं०१८ के मुजिर २२ भासव संज्वलन कबाब नवनोकाय मनोयोग४, बचन योग। यौफाय योग ये (२२) । ५-६-७ के भंग की नं. १६ देखा
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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