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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोष्टगत प्रमत्त गुण स्थान - - - - २२ प्राप्रव २२ या २ सारे भंग । १ मंग सारे मंग । १ भंग संज्वलन कषाय४, नवनो (1) सौदारिक काय योग की अपने अपने स्थान के मंग्वलन कवाय ४, अपने अपने कषाय ६, मनोयोग : भपेक्षा २२ का भंग | सारे मंग जानना दास्यादिनोकवाय ६ स्थान के सारे वचनयोग ४, मो. काय संज्वलन कषाय ४ । ५-६-७ के भंग |५-६-७ के भंगों पुरुष वेद, पाहारक | भंग जानना योग १, मा. मिश्रकाय हास्यादिनो कषाय ६, । जानना में से कोई १ ग, मिथकाय योग । योग १. प्राहारक काय | वेद ३, मनोयोग ४ को० नं० १८ देखो। जानना ये १२ भाव जानना योग १, ये (२४) बचत योग ४, प्रो. १२ का भंग ५-६-७ के भंग ५-६-७के अंगों काययोग १ ये २२ का को० नं.१८के समान | जानना में से कोई भंग भंग जानना को० न०१८ जानना कोनं० १६ देखो जानना देखो सुचना-यहां यह विवरण (२) प्राहारक काययोग की पाहारक मित्र काय अपेक्षा २० का भंग मज्वलन योग की अपेक्षा ही कवाय ४, हास्यादिनों जानना कषाय ६, पुरुष वेद । मनायोग ४, बचन यांग ४, आहारक काययोग १, ये २०१का भंग जानना को० नं.१- देखो २१ भाद उपशम-सायिक म०२, ज्ञान ४, न ३, नन्धि ५, क्षयोपगम-सम्यक्त्वर मनुष्य पनि १, कषाय ४ लिग ३, शुभ लेश्या ३, मराग संयम १.पक्षान। मसिद्धत्व १, जीवत्व भच्यस्व १, ये (३१) सारे भंग भंग अंग १ भंग ३६ का भंग को.नं. १८१७का भंग १७ के भंगों में प्राहारक काययोग बी | १ का मंग १७ का भगों में के समान पो काययोग | कोनं.१८के से कोई 1 अंग प्रपेक्षा २७ का भंग को० नं. १८के में कोई १ मंग की अपेक्षा जानना २७के : समान ज्ञानना को० नं०१८ समान समान जानना । गागना भग कोनं १८ के समान याहारक काययोग क. अपेक्षा जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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