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________________ { चौतीस स्थान दर्शन १४ दर्शन को० नं० ४ देखी १५ लेश्या ३ शुभ लेखा १६ भव्यत्व भव्य व १७ सम्यक्त्व उपचम क्षायिक क्षयोपशम ये (३) १८ संज्ञी संज्ञी १६ आहारक २० उपयोग ज्ञानोपयोग ४ दर्शनीयोग ३, ये जानना २१ ध्यान Э प्राहारक 19 श्रार्तध्यान (अनिष्ट संयोग, पीडा चितन निदान बंध) धर्म ध्यान ४, ७ ध्यान जानना ३ का मंग को नं १५ के समान ३ ३ का भंग को० नं० १८ के समान जानना १ भव्यस्व जानना ها ७-६ के मंग को० नं० १८ के समान जानना ( ५७ ) कोष्टक नं० ६ १ ३ सारे मंग ३-२ के भंग को० नं० १० २-२ के भंग जानना के समान जानना को० नं० १८ देखी १ संज्ञी १ प्राहारक ७ ७ का भंग को० नं० १८ के समान जानना १ भंग ३ का मंत्र जानना १ मंग ने का भग जानना १ १ सारे भंग ७-६ के भंग जानना को० नं १० देखो १ भंग ७ का मंग जानना को० नं० १८ देखी ५ ३ १ दर्श । ३ के भंग में से३ का भंग को० नं० १८ कोई १ दर्शन के समान जानना जानना १ ३ के भंग में से कोई १ लेश्या जानन । १ १ सम्यक्त्व ३-२ के भंगों में से कोई १ सम्यक्त्व १ ३ ३ का भंग को० नं० १८ के समान १ ध्यान ७ के भंग में से कोई १ ध्यान जानना १ २ का मंग को० नं० १८ के समान जानना १ संजी १ १ आहारक १ उपयोग ६ ७-६ के मंगों मे मनः पर्वयज्ञान घटाकर (६) से कोई १ जानना ६ का मंग को० उपयोग १०१ के समान जानना 9 ७ का मंग पर्याप्तवन् जानना को० नं० १८ देखी प्रमत्त गुण स्थान 6. १ मग ३ का भंग जानना १ भंग २ का मंग जानना सारे भंग २ का मंग जानना को० नं० १८ देखो ? = दर्शन के भंग में से कोई १ दर्शन जानना १ लेदया ३ के भंग में से कोई १ लेश्या जानना १ १ सम्यक्त्व २ भंग में से कोई १ सम्यक्त्व १ १ सारे मग १ उपयोग ६ का मंग जानना ६ के भंग में से को० नं० १८ देखो कोई १ उपयोग जानना १ मंग १ ध्यान ७ का भंग ७ के मंग में जानना से कोई १ को० नं० १८ देखो ध्यान जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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